डिजिटल गिरफ्तारी का डर दिखाकर 32.5 लाख की ठगी, CBI और टेलीकॉम अधिकारी बनकर दिया झांसा

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में साइबर ठगी का एक गंभीर मामला सामने आया है। यहां सिंचाई विभाग से रिटायर्ड तुषारकर देवांगन से ठगों ने खुद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और टेलीकॉम अथॉरिटी का अधिकारी बताकर उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाने की धमकी दी और 32 लाख से ज्यादा की रकम ठग ली।

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व्हाट्सएप पर कॉल कर भेजा गिरफ्तारी वारंट

3 जुलाई को तुषारकर को व्हाट्सएप कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को ‘विजय खन्ना’ नामक टेलीकॉम अथॉरिटी अफसर और ‘रश्मि शुक्ला’ नामक CBI प्रोसेसिंग अधिकारी बताया। इसके बाद व्हाट्सएप पर ही एक नकली गिरफ्तारी वारंट भेजा गया और दावा किया गया कि वह नरेश गोयल नाम के एक व्यक्ति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंस चुके हैं।

डर के चलते 6 बार में ट्रांसफर की गई मोटी रकम

ठगों ने पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट और जेल भेजने की धमकी दी। डर के कारण तुषारकर ने कुल छह बार में ₹32,54,996 रुपए फोन-पे के जरिए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए। ठग लगातार 15 दिनों तक संपर्क में रहे और डराते रहे ताकि पीड़ित कोई शिकायत न करे।

मोबाइल नंबर बंद होने के बाद हुआ ठगी का अहसास

18 जुलाई को तुषारकर ने जब ठगों के मोबाइल नंबरों को बंद पाया, तब उन्हें ठगी का अहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल इस ठगी के पीछे के तकनीकी पहलुओं और अकाउंट ट्रांजैक्शनों की भी जांच की जा रही है।

पुलिस ने की जांच शुरू, साइबर ठगों की तलाश

पुलिस का कहना है कि मामले में साइबर सेल की मदद ली जा रही है और ट्रांजैक्शन से जुड़े बैंक खातों की डिटेल निकाली जा रही है। साथ ही, कॉल डिटेल और लोकेशन ट्रैकिंग के जरिए ठगों का पता लगाने की कोशिश जारी है।

यह मामला एक बार फिर चेतावनी देता है कि कोई भी व्यक्ति अगर खुद को सरकारी अधिकारी बताते हुए डराने की कोशिश करे, तो बिना जांचे-परखे पैसे ट्रांसफर न करें और तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें।

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