सरकारी बैंकों पर 1.62 लाख करोड़ का बोझ: 1629 जानबूझकर लोन नहीं लौटाने वाले डिफॉल्टरों की सूची उजागर

देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSU Banks) पर जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले डिफॉल्टरों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। वित्त मंत्रालय ने लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे 1629 विलफुल डिफॉल्टर बैंकों के 1.62 लाख करोड़ रुपये से अधिक की रकम नहीं चुका रहे हैं।

Advertisement1

वित्त राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने यह जानकारी सांसदों के सवालों के लिखित उत्तर में दी। उन्होंने बताया कि यह आंकड़ा 31 मार्च 2024 तक का है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइन्स के अनुसार, कोई उधारकर्ता जानबूझकर तब डिफॉल्टर माना जाता है जब उसके पास कर्ज चुकाने की क्षमता होते हुए भी वह लोन का भुगतान नहीं करता।

इन डिफॉल्टरों की सूची में कई बड़े कारोबारी समूह और उद्योगपति शामिल हैं। सरकार ने हालांकि नामों का खुलासा नहीं किया, लेकिन यह बताया गया कि सबसे अधिक विलफुल डिफॉल्टर उन क्षेत्रों से हैं, जहां कॉरपोरेट लोन का आकार बड़ा होता है।

सरकार ने यह भी बताया कि इन खातों की वसूली के लिए सार्वजनिक बैंकों ने कानूनन कई कदम उठाए हैं, जैसे कि SARFAESI एक्ट, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) और ऋण वसूली न्यायाधिकरणों (DRT) का सहारा लिया जा रहा है।

इसके अलावा इन डिफॉल्टरों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं और संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई भी हो रही है। बैंकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे हर विलफुल डिफॉल्टर के खिलाफ व्यक्तिगत और कानूनी तौर पर सख्त कदम उठाएं।

सरकार का कहना है कि वह बैंकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और कर्ज वसूली की प्रक्रिया को तेज करने के लिए प्रतिबद्ध है। जानबूझकर डिफॉल्ट करने वालों के खिलाफ भविष्य में और सख्त कानून लाए जाने पर भी विचार चल रहा है।

वित्त मंत्रालय का यह खुलासा बताता है कि बैंकों का कर्ज संकट सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि नीतिगत और नैतिक चुनौती बन चुका है।

Advertisements
Advertisement