देश भर में लगभग हर दूसरा आदमी किसी न किसी बीमारी से जूझ रहा है. इससे निजात पाने के लिए लोग दवाइयों को सहारा लेते हैं, ताकि वो बीमारी खत्म हो सके और दर्द कम हो सके. हालांकि इन दवाईयों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. इसके मुताबिक दवा कंपनियां आपकी जान से खिलवाड़ कर रही हैं. केंद्र सरकार की तरफ से मंगलवार को राज्यसभा में स्टैंडर्ड क्वालिटी के बारे में जानकारी दी गई. इसमें पाया गया कि 3104 दवाएं खराब पाई गई हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बताया कि अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच 1,16,323 दवाओं के सैंपल टेस्ट किए गए थे. इनमें से 3104 दवाएं स्टैंडर्ड क्वालिटी में सही नहीं पाई गई हैं. यानी ये दवाएं लेने लायक नहीं हैं. जबकि 245 ऐसी दवाएं थी जो नकली थीं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इस पूरी टाइमलाइन के दौरान ही नकली और मिलावटी दवाएं बनाने के लिए लिए 961 मामले दर्ज किए गए हैं.
नड्डा ने कहा कि अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच 1,06,150 दवाओं का टेस्ट कराया गया था, जिनमें से 2,988 दवाएं स्टैंडर्ड क्वालिटी में नहीं पाई गई, जबकि 282 नकली पाई गईं. उन्होंने बताया कि इसी अवधि के दौरान नकली/मिलावटी दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण के लिए 604 मुकदमे चलाए गए.
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट तहत होगी कार्रवाई
दवाओं की गुणवत्ता चेक करने और नकली दवाओं का पता लगाने के लिए साल 2014-16 में देश भर में टेस्टिंग कराई गई थी. इस दौरान 47,012 दवाओं की टेस्टिंग की गई थी. ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट नकली या मिलावटी दवाओं को बनाना अपराध है. ऐसा करते पाए जाने पर लाइसेंस कैंसिल किया जा सकता है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ऐसी दवाओं के बारे में प्राप्त होने वाली छिटपुट शिकायतों की संबंधित लाइसेंसिंग प्राधिकारियों के साथ मिलकर जांच की जाती है ताकि कार्रवाई की जा सके.
सीडीएससीओ के अंतर्गत आने वाली ड्रग टेस्टिंग लैब से जिन दवाओं के रिजल्ट अनुकूल नहीं पाए जाते हैं, उनकी बिक्री पर तुरंत रोक के साथ ही बाजार में मौजूद सारा स्टॉक वापस बुलाना पड़ता है. इसके साथ ही टेस्टिग रिजल्ट के आधार पर लाइसेंसिंग रोकने और उत्पादन रोकने के आदेश भी दिए जा सकते हैं.
औषधि उद्योग सुदृढ़ीकरण योजना होगी लागू
सरकार देश में औषधि उद्योग सुदृढ़ीकरण (एसपीआई) योजना भी लागू कर रही है. इस योजना के तीन घटक/उप-योजनाएं हैं. पहला घटक है सामान्य सुविधाओं के लिए फार्मास्युटिकल उद्योग को सहायता (एपीआईसीएफ), जिसमें सामान्य सुविधाओं के निर्माण हेतु फार्मास्युटिकल क्लस्टरों को वित्तीय सहायता प्रदान करके मौजूदा बुनियादी ढांचा सुविधाओं को मजबूत करना शामिल है. स्वाथ्य मंत्री नड्डा ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य मौजूदा राज्य प्रयोगशालाओं का अपग्रेड, नई ड्रग टेस्टिंग लैब को बनाना और देश भर में मौजूदा राज्य ड्रग कंट्रोल ऑफिस को अपग्रेड करना है.
एसएसडीआरएस योजना के तहत अब तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय अंशदान के रूप में कुल 756 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं. विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 17 नई ड्रग टेस्टिंग लैब का निर्माण और 24 मौजूदा प्रयोगशालाओं को अपग्रेड किया गया है.