‘SIR चुनाव आयोग करा रहा, सरकार नहीं…’,बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन पर संसद में नहीं होगी चर्चा!

मॉनसून सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष बिहार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण और सत्यापन यानी SIR के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर रखा है. SIR के मुद्दे पर पटना से दिल्ली तक सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है. बिहार में महागठबंधन की अगुवाई कर रहे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ ही विपक्षी इंडिया ब्लॉक की पार्टियां इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की मांग कर रही हैं.

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बिहार SIR के मुद्दे पर दो दिन से संसद के दोनों सदन नहीं चल पा रहे हैं. विपक्ष बिहार SIR को वापस लेने की मांग कर रहा है, संसद में चर्चा चाह रहा है. SIR पर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही ठप है. सदन के भीतर और बाहर विपक्षी दल प्रदर्शन कर रहे हैं.

अब खबर है कि संसद में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होगी. सरकार के टॉप सूत्रों का कहना है कि सरकार चुनाव आयोग की ओर से जवाब नहीं दे सकती. सरकार चुनाव आयोग की ओर से कैसे बोल सकती है. सरकार के शीर्ष सूत्रों ने स्पष्ट कहा कि संसद में एसआईआर पर कोई चर्चा नहीं होगी. बिहार में वोटर लिस्ट का एसआईआर चुनाव आयोग की ओर से कराया जा रहा है, सरकार की ओर से नहीं.

गौरतलब है कि बिहार में चुनाव आयोग की ओर से वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण और सत्यापन के लिए अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत एसआईआर के लिए अब दो दिन का समय बाकी रह गया है. चुनाव आयोग की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक इस अभियान के तहत अब तक सूबे के 98.01% वोटर कवर किए जा चुके हैं.

बिहार की वोटर लिस्ट में 20 लाख नाम ऐसे पाए गए हैं, जिन मतदाताओं का निधन हो चुका है. वहीं, आठ लाख ऐसे मतदाताओं को भी चिह्नित किया गया है, जिनका पता अब बदल चुका है. कुल मिलाकर 50 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए जाने की जानकारी चुनाव आयोग की ओर से दी जा चुकी है.

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