रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ ED ने दाखिल की चार्जशीट, जानें क्या-क्या लगे हैं आरोप

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार (17 जुलाई, 2025) को चार्जशीट दाखिल की है. यह चार्जशीट गुरुग्राम जमीन घोटाला मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है, जिसमें रॉबर्ट वाड्रा (आरोपी संख्या 1), सत्यनंद याजी (आरोपी संख्या 2), केवल सिंह विरक (आरोपी संख्या 3) और कुछ कंपनियां (आरोपी संख्या 4 से 11 तक) जैसे कि M/s Sky Light Hospitality Pvt. Ltd., M/s Sky Light Realty Pvt. Ltd. और M/s Onkareshwar Properties Pvt. Ltd. को आरोपी बनाया गया है.

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कैसे हुई जमीन घोटाले की शुरुआत

ये मामला 1 सितंबर 2018 को हरियाणा पुलिस द्वारा गुड़गांव के खेड़की दौला थाने में दर्ज FIR संख्या 0288 से शुरू हुआ था. इस FIR में रॉबर्ट वाड्रा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, DLF कंपनी, M/s ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ IPC की विभिन्न धाराओं (120-B, 420, 467, 471) और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 के तहत केस दर्ज किया गया था.

क्या-क्या लगे हैं आरोप

M/s Sky Light Hospitality Pvt. Ltd. (SLHPL) ने बहुत कम पूंजी होते हुए भी गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन M/s ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपए में खरीदी.

बिक्री दस्तावेज में लिखा गया कि पेमेंट चेक से किया गया है, जबकि असल में चेक कभी भुनाया ही नहीं गया. वास्तव में पूरी डील 15 करोड़ रुपए की थी लेकिन आधी रकम दिखाकर 45 लाख रुपए (लगभग) की स्टांप ड्यूटी बचाई गई.

आरोप है कि यह लेन-देन रिश्वत के रूप में हुआ ताकि रॉबर्ट वाड्रा की पहुंच का फायदा उठाकर ओंकारेश्वर कंपनी को उसी गांव में हाउसिंग लाइसेंस दिलवाया जा सके.

वाड्रा के जुड़ी कंपनी SLHPL को नियमों की अनदेखी करके और ऊपरी दबाव में बहुत जल्दी कमर्शियल कॉलोनी डेवलपमेंट लाइसेंस मिल गया. इसके बाद जमीन 58 करोड़ रुपए में DLF को बेच दी गई.

PMLA के तहत ED की जांच

प्रवर्तन निदेशालय ने 21 दिसंबर 2018 को इस मामले की जांच शुरू की क्योंकि FIR में दर्ज अपराध शेड्यूल ऑफेन्स की श्रेणी में आते हैं. मकसद यह पता लगाना था कि इस सौदे से उत्पन्न Proceeds of Crime (अपराध से कमाई गई संपत्ति) को कैसे और किसने इस्तेमाल किया.

जांच में सामने आई अनियमितताएं

SLHPL ने लाइसेंस के लिए 3.53 एकड़ जमीन दिखाई जबकि केवल 1.35 एकड़ ही कमर्शियल यूज के लिए मान्य थी (कम से कम 2 एकड़ की जरूरत होती है).

फिर भी टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने रास्ते के लिए रखी गई जमीन को भी जोड़कर लाइसेंस मंजूर कर दिया.

विभाग के अधिकारियों ने माना कि ऊपर से दबाव था और फाइलों में बैकडेटिंग और बदलाव किए गए ताकि लाइसेंस पास हो सके.

कैसे की गई स्टांप ड्यूटी से जुड़ी धोखाधड़ी

भले ही स्टांप ड्यूटी चोरी शब्द सीधे तौर पर नहीं लिखा गया है, लेकिन यह साफ है कि बिक्री पत्र में झूठी जानकारी दी गई थी चेक से भुगतान दिखाया गया जबकि असल में ऐसा कुछ नहीं हुआ.

इससे यह प्रतीत होता है कि असली मूल्य छिपाकर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस से बचा गया, जो IPC की धारा 423 के तहत अपराध है (झूठे मूल्य के आधार पर दस्तावेज बनाना).

PMLA की धारा 70 के तहत क्या है कंपनियों की जिम्मेदारी

PMLA की धारा 70 के तहत अगर कोई कंपनी मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त पाई जाती है, तो उस समय उस कंपनी का संचालन कर रहे व्यक्ति/निदेशक भी दोषी माने जाते हैं.

इसलिए Sky Light Hospitality, Sky Light Realty और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज जैसी कंपनियों के डायरेक्टर्स और जिम्मेदार अधिकारी भी इस मामले में उत्तरदायी हैं.

अपराध से कमाई गई राशि (Proceeds of Crime) का हिसाब

जांच में यह साफ तौर पर सामने आया कि रॉबर्ट वाड्रा ने कुल 58 करोड़ रुपये की अवैध कमाई (अपराध की कमाई) प्राप्त की। ये पैसे दो कंपनियों के ज़रिए उन्हें मिले:

5 करोड़ रुपए — ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड (BBTPL) के जरिए

53 करोड़ रुपये — स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड (SLHPL) के जरिए

इन पैसों का इस्तेमाल रॉबर्ट वाड्रा ने प्रॉपर्टी खरीदने, निवेश करने, अपनी कंपनियों को लोन देने और उनकी देनदारियां चुकाने जैसे कई कामों में किया.

जब्त की गई संपत्तियां (Proceeds of Crime के तौर पर)

जांच के दौरान कुल 43 अचल संपत्तियां (immovable properties) ED ने अस्थायी रूप से जब्त कीं, जिनकी कुल कीमत लगभग 38.69 करोड़ रुपये है.

सीधी अवैध कमाई से खरीदी गई संपत्तियाँ (Direct Proceeds of Crime)— कुल कीमत: 4.51 करोड़ रुपये

इनमें शामिल हैं, बीकानेर (राजस्थान) में जमीन, गुड़गांव के गुड अर्थ सिटी सेंटर में कुछ यूनिट्स, मोहाली के बेस्टेक बिजनेस टॉवर में यूनिट्स और अहमदाबाद के जय अम्बे टाउनशिप में रिहायशी फ्लैट्स. इनमें से ज़्यादातर प्रॉपर्टियां रियल अर्थ एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड या स्काई लाइट रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर हैं.

बिना सीधा लिंक लेकिन बराबर कीमत की संपत्तियां (Value Equivalent PoC)Z: इनमें शामिल हैं: फरीदाबाद के अमीपुर में कृषि जमीन, गुड़गांव के मयफील्ड गार्डन में प्लॉट्स, गुड़गांव के सेंटरम प्लाज़ा और बेस्टेक बिजनेस टॉवर में कमर्शियल यूनिट्स, नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट और अन्य कमर्शियल स्पेस, गुड़गांव के अरालियास में एक फ्लैट, फिर से बीकानेर (राजस्थान) में जमीन

ये संपत्तियां रॉबर्ट वाड्रा, आर्टेक्स (जिसके मालिक खुद वाड्रा हैं), स्काई लाइट रियल्टी प्रा. लि. या रियल अर्थ एस्टेट्स एलएलपी के नाम पर हैं. कुल मिलाकर, डायरेक्ट और वैल्यू के बराबर दोनों तरह की संपत्तियां मिलाकर ED ने 38.69 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टियां जब्त की हैं.

कानून के तहत धाराएं और सजा की मांग

ED ने PMLA कानून, 2002 की कई धाराओं का इस्तेमाल किया है:

धारा 3 मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध

धारा 4 इसमें 3 से 7 साल तक की सख्त जेल का प्रावधान है

धारा 23 आपस में जुड़े लेन-देन पर संदेह का आधार

धारा 24 सबूत देने की ज़िम्मेदारी आरोपी पर होती है

धारा 44 ये केस स्पेशल कोर्ट में चलेगा

धारा 45 इस अपराध को संज्ञेय (Cognizable) और गैर-जमानती (Non-bailable) माना गया है

इस मामले में ED का आरोप है कि जमीन की खरीद-फरोख्त की आड़ में राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग किया गया, सरकारी नियमों की अनदेखी कर लाइसेंस हासिल किया गया और जमीन को ऊंची कीमत पर बेचकर अवैध लाभ कमाया गया। यह सब कथित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार से जुड़ा है.

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