World IVF Day: स्पर्म और एग्स को नुकसान पहुंचा रही पुरुष-महिलाओं की ये आदत, IVF भी हो रहा फेल

आज यानी 25 जुलाई 2025 को पूरी दुनिया में वर्ल्ड आईवीएफ डे (World IVF Day) मनाया जा रहा है. IVF वो तकनीक है, जो आज कल के बहुत से कपल्स को माता-पिता बनने की खुशी देती है. यह तकनीक सिर्फ एक इलाज नहीं है, बल्कि उन टूटते सपनों को फिर से जोड़ने का जरिया बन चुकी है, जिन्हें लोग नामुमकिन मान चुके थे. ये भारत समेत पूरे विश्व के कई कपल्स के लिए आशा की किरण के रूप में काम करता है, लेकिन ये समझना बहुत जरूरी है कि आपकी एक बुरी आदत इस तकनीक के फेल होने का कारण भी बन सकती है. अब सवाल ये है कि यह बुरी आदत आखिर क्या है? ये आदत और कुछ नहीं बल्कि सिगरेट पीना है. जी हां, सिगरेट में इस्तेमाल होने वाला तंबाकू माता-पिता बनने की राह में बाधा बन सकता है.

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ज्यादातर लोग जानते हैं कि तंबाकू फेफड़ों और दिल को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका असर फर्टिलिटी पर भी पड़ सकता है जिससे IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) की सफलता के मौके कम हो सकते हैं.

फिर भी, भारत में IVF की सफलता दर कई विदेशी देशों से बेहतर है. चलिए वर्ल्ड आईवीएफ डे पर इस आर्टिकल से जानते हैं कि तंबाकू और फर्टिलिटी और आईवीएफ के बीच रिश्ता क्या है? इसके साथ ही भारत में IVF की सफलता दर कितनी है?

क्या है आईवीएफ?
IVF एक ऐसी तकनीक है, जिसमें महिला के एग्स (अंडे) और पुरुष के स्पर्म को बॉडी से बाहर लैब में मिलाया जाता है. जब ये दोनों मिलते हैं तो फीटस डेवलप होता है. फिर इस फीटस को महिला के गर्भ में डाला जाता है, ताकि वह वहां बढ़ सके और प्रेग्नेंसी हो सके.

कैसे स्मोकिंग/तंबाकू फर्टिलिटी/IVF को करता है प्रभावित?
स्मोकिंग का असर आपके रिप्रोडक्टिव सिस्टम यानी बच्चे पैदा करने की क्षमता पर बहुत बुरा पड़ता है. इससे पुरुष और महिला दोनों के लिए कंसीव करना मुश्किल हो सकता है और उनकी रिप्रोडक्टिव हेल्थ भी खराब हो सकती है. चाहे आप नेचुरल तरीके से कंसीव करने की कोशिश कर रहे हों या आईवीएफ (IVF) जैसी मेडिकल तकनीक का सहारा ले रहे हों. स्मोकिंग करना या पैसिव स्मोकिंग (सिगरेट के धुएं के संपर्क में आना) दोनों ही इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ा सकते हैं. यह खतरा इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप रोज कितनी सिगरेट पीते हैं.

स्मोकिंग महिलाओं की फर्टिलिटी और आईवीएफ सफलता को कैसे प्रभावित करता है?
महिलाओं में स्मोकिंग कई तरह से फर्टिलिटी को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है. सबसे बड़ा प्रभाव अंडों की क्वालिटी और नंबर्स पर पड़ता है. स्मोकिंग से अंडों का डेवलपमेंट कम हो सकता है, ओव्यूलेशन इर्रेगुलर हो सकता है और ओवरी में अंडे कम बन सकते हैं. ये दिक्कतें अंडे और स्पर्म के मिलने में, फीटस के सही तरीके से बनने में और उसे गर्भ में टिकने में मुश्किल पैदा कर सकती है, जो प्रेग्नेंसी के लिए बहुत जरूरी हैं.

अगर कोई महिला गर्भवती भी हो जाती है, तो स्मोकिंग के कारण अबॉर्शन, समय से पहले डिलीवरी, बच्चे का वजन कम होना या गर्भ में ही बच्चे की मौत होने का खतरा बढ़ जाता है. अगर महिला आईवीएफ करवा रही है, तो स्मोकिंग की वजह से अंडे अच्छी क्वालिटी के नहीं बनते, जिससे प्रेग्नेंसी का मौका कम हो सकता है.

इसके अलावा, पैसिव स्मोकिंग के कारण हानिकारक केमिकल्स अंडे के अंदर जेनेटिक मैटेरियल को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे अबॉर्शन का खतरा बढ़ जाता है और आगे चलकर बच्चे को कई तरह की बीमारियां भी हो सकती हैं.

स्मोकिंग से पुरुषों की फर्टिलिटी को कैसे पहुंचता है नुकसान?

स्मोकिंग पुरुषों की फर्टिलिटी को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाता है. यह शरीर की नसों को कमजोर कर सकता है, जिससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile Dysfunction) हो सकता है. इससे कंसीव करना मुश्किल हो जाता है. इसके अलावा, स्मोकिंग से निकलने वाला स्मोक स्पर्म्स के नंबर, स्पीड और क्वालिटी को भी खराब कर देता है. इससे न सिर्फ नेचुरल तरीके से, बल्कि IVF से भी कंसीव करना मुश्किल हो जाता है.

अगर फर्टिलाइजेशन हो भी जाए, तो स्पर्म्स कमजोर होने की वजह से अबॉर्शन, समय से पहले डिलीवरी या मरे बच्चे के जन्म का खतरा बढ़ सकता है. स्मोकिंग स्पर्म्स के डीएनए (DNA) को भी नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे बच्चे को जन्म के समय या आगे चलकर कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं.

किन फैक्टर्स पर निर्भर करता है IVF का सक्सेस रेट?
भारत में आईवीएफ का सक्सेस रेट/सफलता दर आमतौर पर 50% से 60% के बीच होती है. हालांकि, यह हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकती है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि महिला की उम्र क्या है, अंडे और स्पर्म्स कितने अच्छे हैं और इलाज किस क्लिनिक और डॉक्टर के पास करवाया जा रहा है. ये सभी चीजें मिलकर यह तय करती हैं कि आईवीएफ से गर्भ ठहरेगा या नहीं. आईवीएफ की सफलता कई चीजों पर निर्भर करती हैं. चलिए जानते हैं वह क्या हैं:

इनफर्टिलिटी का कारण: कुछ वजहों का इलाज आईवीएफ से आसान होता है. जैसे- अगर फेलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो तो आईवीएफ ज्यादा असरदार होता है, लेकिन अगर अंडों की क्वालिटी खराब हो तो सफलता कम हो सकती है.

पिछली प्रेग्नेंसी का इतिहास: अगर पहले कभी महिला प्रेग्नेंट हो चुकी है, तो फिर से प्रेग्नेंट होने के चांस ज्यादा हो सकते हैं.

लाइफस्टाइल: सिगरेट पीना, शराब पीना, ज्यादा वजन और गलत खानपान से आईवीएफ की सफलता पर बुरा असर पड़ता है. हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से अच्छे नतीजे मिल सकते हैं.

क्लिनिक और डॉक्टर का अनुभव: अच्छे क्लिनिक और अनुभवी डॉक्टर से इलाज कराने पर सफलता के चांस बढ़ सकते हैं.

फ्रेश या फ्रोजन एम्ब्रियो: कुछ मामलों में फ्रोजन एम्ब्रियो से ज्यादा अच्छे रिजल्ट्स मिल सकते हैं.

एम्ब्रियो की संख्या: अगर एक से ज्यादा एम्ब्रियो ट्रांसफर किए जाएं, तो प्रेग्नेंसी के चांस बढ़ जाते हैं, लेकिन जुड़वा या ट्रिपलेट्स का रिस्क भी बढ़ता है.

स्पर्म की क्वालिटी: अगर स्पर्म की संख्या, स्पीड और शेप ठीक नहीं है तो फर्टिलाइजेशन में दिक्कत आ सकती है.

यूट्रस की कंडीशन: बच्चा ठहराने के लिए यूट्रस की हालत अच्छी होना जरूरी है. अगर वह एम्ब्रियो को सही से पकड़ नहीं पाता, तो प्रेग्नेंसी नहीं हो पाती.

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