बरसात ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। लगातार हो रही बारिश से गर्मी की सब्जियों की फसल गलने लगी है, जबकि बरसाती सब्जियों का उत्पादन अभी पूरी तरह शुरू नहीं हुआ है। इस वजह से बाजार में सब्जियों की आवक कम है और दाम(Vegetable Prices) आसमान छू रहे हैं।
Advertisement
दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी
गुदरी बाजार में हरी सब्जियां 60 रुपये प्रति किलो या उससे ज्यादा दाम पर बिक रही हैं। आमतौर पर 20-30 रुपये किलो मिलने वाली मूली भी इन दिनों 60 रुपये किलो में बिक रही है। भिंडी, बरबट्टी, गोभी जैसी सब्जियों के दाम 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। हरी मिर्च 160 से 180 रुपये किलो बिक रही है।
मशरूम सबसे महंगा(Mushroom Price)
सावन में लोग प्राकृतिक मशरूम (खुखड़ी) ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन यह 1,200 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। व्यवसयिक खेती से कुछ सब्जियां आ रही हैं, लेकिन मांग के मुकाबले यह नाकाफी है। साथ ही, अन्य राज्यों में ज्यादा दाम मिलने के कारण सब्जियां बाहर भेजी जा रही हैं, जिससे स्थानीय बाजार में दाम और बढ़ गए हैं।
क्यों बढ़े दाम?(Vegetable Price Hike)
- लगातार बारिश से फसल खराब
- नए सीजन की फसल का उत्पादन नहीं शुरू
- सब्जियों की बाहरी राज्यों में सप्लाई
- स्थानीय बाजार में कम आवक
बाजार रेट (प्रति किलो)
टमाटर : ₹60
भिंडी : ₹80
बरबट्टी : ₹80
मूली : ₹60
परवल : ₹60
बैंगन : ₹50-60
लौकी : ₹30-40
करेला : ₹70-80
खेक्सा : ₹100-120
कोचई : ₹60
हरी मिर्च : ₹160-180
आलू-प्याज की स्थिति
हरी सब्जियों के मुकाबले आलू सस्ता हो गया है। पहले 25 रुपये किलो मिलने वाला आलू अब 20 रुपये किलो है। प्याज 25 रुपये किलो और लहसुन के दाम स्थिर हैं।
राहत कब मिलेगी?
सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि अगस्त के आखिर तक नए सीजन की सब्जियों का उत्पादन शुरू होगा। तब जाकर दामों में कुछ कमी आने की उम्मीद है।
Advertisements