पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 राज्य सरकार को वापस भेज दिया है. पिछले वर्ष आरजी अस्पताल बलात्कार और हत्या मामले में ममता बनर्जी सरकार को जनता की आलोचना का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद राज्य ने यौन उत्पीड़न के मामलों में सजा बढ़ाने, त्वरित जांच सुनिश्चित करने और त्वरित न्याय दिलाने के लिए विधानसभा में बलात्कार विरोधी विधेयक पारित किया था.
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित आरजी कर कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार हॉल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ कथित रूप से बलात्कार और हत्या की घटना के एक महीने से भी कम समय बाद मुख्यमंत्री ने यह विधेयक पेश किया था.
यह विधेयक राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को भेजा गया था लेकिन अब इसे राज्य को वापस भेज दिया गया है. कारण यह बताया गया है कि यद्यपि विधेयक में बलात्कार के लिए सजा को न्यूनतम 10 वर्ष से बढ़ाकर शेष जीवन के लिए आजीवन कारावास या मृत्यु तक करने का प्रस्ताव है, लेकिन प्रस्तावित सजा “अनुपातहीन और अत्यधिक कठोर” है.
बिल के इस प्रावधान पर जताई आपत्ति
विधेयक का दूसरा प्रस्ताव धारा 65 को हटाना था, जो 16 वर्ष और 12 वर्ष से कम आयु की महिलाओं के साथ बलात्कार के बीच अंतर करता है, उसे भी अस्वीकार कर दिया गया. आपत्ति में कहा गया कि, “इस वर्गीकरण को हटाना आनुपातिकता के सिद्धांत का उल्लंघन है, क्योंकि विभिन्न अपराधों के लिए समान सजा कानूनी रूप से अनुचित है.”
प्रस्तावित विधेयक में उन मामलों में मृत्युदंड को भी अनिवार्य कर दिया गया है, जहां पीड़ित की मृत्यु हो जाती है या वह लगातार निष्क्रिय अवस्था में रहता है. हालांकि, इस पर भी आपत्ति की गई क्योंकि अनिवार्य मृत्युदंड सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व निर्णय (विशेषकर मिठू बनाम पंजाब, 1983) का उल्लंघन करता है, जिसमें यह निर्णय दिया गया था कि सजा सुनाने में न्यायिक विवेक आवश्यक है.
बिल लौटने का तृणमूल ने किया विरोध
आरजी कार मामले और हाल ही में कस्बा लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ बलात्कार की घटना के बाद राज्य में महिला सुरक्षा के बारे में पूछे जाने पर, मंत्रियों और तृणमूल कांग्रेस नेताओं ने कहा कि वे अपराजिता बलात्कार विरोधी विधेयक को उठाएंगे.
तृणमूल के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने बिल लौटने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने सवाल किया कि केंद्र ने अपराजिता विधेयक राज्य को क्यों लौटा दिया? क्या उन्होंने इस पर आपत्ति जताई और बलात्कार और हत्या के लिए मृत्युदंड को अत्यधिक क्रूर सजा बताया?” उन्होंने साफ कहा कि तृणमूल कांग्रेस केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध करेगी. इससे भाजपा की मानसिकता भी साफ हो गई है. महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भाजपा की क्या सोच है.