हाईकोर्ट बोला- I LOVE YOU कहना सेक्सुअल हैरेसमेंट नहीं:पुलिस की जांच पर भी उठे सवाल, छेड़छाड़ या अश्लील हरकत साबित नहीं, युवक बरी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि, केवल I LOVE YOU कहना सेक्सुअल हैरेसमेंट नहीं है। इसमें छेड़छाड़ या अश्लील हरकत साबित होना जरूरी है। इस टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने ट्रॉयल कोर्ट के फैसले के खिलाफ शासन की अपील को खारिज कर दिया है। पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए हैं।

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हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि, यौन उत्पीड़न के लिए सिर्फ टच या फिजिकल कॉन्टैक्ट ही नहीं, बल्कि उसमें यौन मंशा का होना जरूरी है। आरोपी का कृत्य इस परिभाषा में नहीं आता है। वहीं, ट्रॉयल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए युवक को बरी करने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने जांच पर उठाए सवाल, छेड़छाड़ या अश्लील हरकत का सबूत नहीं

हाईकोर्ट ने सबूतों और दस्तावेजों को देखने के बाद कहा कि, पीड़िता के नाबालिग होने का स्पष्ट और प्रमाणिक साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं है। पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि, आरोपी ने केवल एक बार आई लव यू कहा और उसके बाद किसी प्रकार की अश्लील हरकत या बार-बार पीछा करने का कोई सबूत नहीं है।

पीड़िता की सहेलियां या माता-पिता भी ऐसे किसी आरोप की पुष्टि नहीं करते। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की जांच और गवाही पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि आरोप पत्र में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे साबित हो सके कि आरोपी ने पीड़िता के साथ यौन उद्देश्य या जातिगत विद्वेष से अपराध किया हो।

जानिए क्या है पूरा मामला

दरअसल, 15 साल की अनुसूचित जाति की स्टूडेंट ने धमतरी के कुरुद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें बताया था कि उसके स्कूल से लौटते समय आरोपी ने उससे छेड़छाड़ की है। टिप्पणी करते हुए आई लव यू बोला। पहले भी कई बार उसने परेशान किया।

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354-डी, 509 पॉक्सो एक्ट के साथ ही एट्रोसिटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया। इस मामले की जांच के बाद पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट पेश किया। इसके बाद धमतरी के स्पेशल कोर्ट में ट्रायल हुआ। 27 मई 2022 को कोर्ट ने आरोपी को सभी धाराओं से बरी कर दिया, जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने अपील की थी।

शासन ने कहा- नाबालिग के साथ अश्लील हरकत गंभीर अपराध

राज्य शासन ने कहा था कि, ट्रायल कोर्ट ने सबूतों की अनदेखी की। पीड़िता के जन्म प्रमाण पत्र में स्पष्ट रूप से उसकी जन्मतिथि 29 नवंबर 2004 दर्ज है, जिससे साबित होता है कि वह वारदात के वक्त नाबालिग थी। आरोपी ने जानबूझकर अनुसूचित जाति की स्टूडेंट को निशाना बनाया। उस पर बुरी नजर रखकर छेड़छाड़ की। उसकी हरकत पॉक्सो एक्ट और एट्रोसिटी एक्ट के तहत गंभीर अपराध है।

आरोपी का तर्क- बिना सबूत के दर्ज किया केस

वहीं, आरोपी की ओर से उसके वकील ने कहा था कि, लड़की के नाबालिग होने का कोई ठोस सबूत कोर्ट में पेश नहीं किया गया। उसके जन्म प्रमाण पत्र की न तो मूल प्रति दी गई और न ही कोई गवाह पेश किया गया। न ही स्कूल का रिकॉर्ड पेश किया गया।

ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि, अगर दस्तावेज को प्रमाणित नहीं किया जाता, तो नाबालिग होने का दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता। आरोपी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा था कि, सिर्फ आई लव यू कहना बिना दुर्व्यवहार या शारीरिक संपर्क के पॉक्सो एक्ट या आईपीसी की गंभीर धाराओं के तहत अपराध नहीं बनता।

3 तरह से होता है सेक्सुअल हैरेसमेंट

यौन शोषण 3 तरह से हो सकता है।

  • शारीरिक यौन शोषण में छूना, गले लगना, किस करना और रास्ता रोकने जैसी हरकतें आती हैं।
  • मौखिक यौन शोषण में अश्लील बातें, अश्लील चुटकले, अश्लील कमेंट, धमकी देना, सेक्सुअल फेवर मांगना या कपड़ों और शरीर पर फब्ती कसना आता है।
  • सेक्सुअल हैरेसमेंट सांकेतिक भी होता है। जैसे- घूरना, अश्लील इशारे करना, गंदी आवाजें निकालना और अश्लील तस्वीरें फोन या कंप्यूटर पर दिखाना।
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