रायपुर में CBI की स्पेशल कोर्ट में रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (SRIMSR) रिश्वतकांड के 6 आरोपियों को पेश किया गया। इस दौरान आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने सभी आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
CBI कोर्ट में डॉ. मंजप्पा सीएन, डॉ. चैत्रा एमएस, डॉ. अशोक शेलके, अतुल कुमार तिवारी, सथीशा ए और रविचंद्र के. को पेश किया गया था। इस केस की अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी। डॉक्टर्स पर मेडिकल कॉलेज को फर्जी तरीके से मान्यता दिलाने के एवज में 55 लाख रुपए की रिश्वत लेने का आरोप है।
बता दें कि सीबीआई की जांच में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कई मेडिकल कॉलेजों में मान्यता के नाम बड़ा घोटाला हुआ है। आरोप है कि रकम को हवाला चैनलों के जरिए ट्रांसफर किया गया था, ताकि निरीक्षण रिपोर्ट फेवरेबल हो
जानिए क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 30 जून 2025 को SRIMSR रायपुर में NMC की 4 सदस्यीय टीम निरीक्षण के लिए आई थी। इसमें डॉ. मंजप्पा सीएन, प्रोफेसर और एचओडी (ऑर्थोपेडिक्स), मंड्या इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज कर्नाटक, डॉ. चैत्रा एमएस और डॉ. अशोक शेलके शामिल हैं। हालांकि, चौथे नाम का खुलासा नहीं हुआ है।
CBI के मुताबिक निरीक्षण दल के सभी सदस्यों ने SRIMSR के निदेशक अतुल कुमार तिवारी के साथ षड्यंत्र रचा। निरीक्षण रिपोर्ट जारी करने के लिए रिश्वत लेने पर सहमत हुए। निरीक्षण दल के सदस्यों में से डॉ. मंजप्पा सीएन ने सथीश ए. को हवाला ऑपरेटर से 55 लाख रुपए इकट्ठा करने के निर्देश दिए।
CBI को पुख्ता जानकारी मिली थी कि स्वास्थ्य मंत्रालय और NMC के कुछ अधिकारी, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के साथ मिलकर गड़बड़ी कर रहे हैं। इन लोगों ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मेडिकल कॉलेजों को फर्जी तरीके से मान्यता दिलाने में मदद की। साथ ही अपने फेवर में अच्छी रिपोर्ट बनाने के एवज में निजी मेडिकल कॉलेजों से घूस ली।
इस मामले में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली और NMC के कुछ अधिकारी, निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार में शामिल है। आरोप है कि मंत्रालय के अधिकारियों ने कॉन्फिडेंशियल डॉक्यूमेंट और संवेदनशील जानकारी को लीक किया और प्राइवेट कॉलेजों के निरीक्षण प्रक्रिया में हेरफेर की।
CBI ने 40 से अधिक ठिकानों पर की थी छापेमारी
CBI ने पुख्ता सूचना मिलने पर प्लानिंग के तहत जाल बिछाया। इसके बाद कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश में 40 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी। लेन-देन के दौरान सभी 6 आरोपियों कोरंगेहाथों पकड़ा था।