श्योपुर का गांव जो आज भी अंधेरे में है! भैरूपुरा की सिसकती ज़िंदगी और मौन सिस्टम की कहानी

श्योपुर : सोचिए सड़क की सुविधा ना हो.पानी का इंतजाम ना हो और स्कूल जैसी कोई व्यवस्था ना हो तो फिर जिंदगी कैसी होगी.आपके बच्चों का भविष्य कैसा होगा.रोजमर्रा की जिंदगी कितनी मुश्किलों भरी होगी. और ऐसे ही मुश्किल हालातों में जिंदगी गुजार रहे हैं.श्योपुर के भैरूपुरा में रहने वाले आदिवासी..जो आज तक विकास की राह देख रहे हैं…

 

 

क्या यही है विकास की कहानी.आखिर क्यों मुश्किल में जिंदगानी. जहां कदम कदम पर संघर्ष जिन्दगी लाचार बेबस विकास क्या है.इसकी झलक आदिवासियों ने अभी तक नहीं देखी.ये कोई अंदरूनी इलाका नहीं है बल्कि कराहल तहसील मुख्यालय से करीब 4 किलोमीटर दूर भैरूपुरा सड़क के नाम पर पगडंडी पथरीली और कटीली झाड़ियों से किसी तरह जिंदगी गुजर रही है.

 

लेकिन ज्यादा दूर तक नहीं आगे जाते है तो नाला इनका रास्ता रोक लेता है. थोड़ी ही बारिश में नाला मौत बनकर बहने लगता हैं. और गांव वाले अपना घरों में ही कैद हो जाते हैं. कोई बीमार हो जाए तो अस्पताल पहुंचने का रास्ता नहीं है. बच्चे स्कूल नहीं जा पाते कोशिश करते हैं तो उस मौत के सफर को पार करना होता है.

 

जो खतरे से खाली नहीं है. इन लोगों को पीने का शुद्ध पानी भी नसीब नहीं हुआ. गांव के आसपास का गंदा नाला ही इन ग्रामीणों की प्यास बुझा रहा है. और ये पानी पीकर यहां के लोग बीमार हो रहे है. सड़क और पानी के साथ इन ग्रामीणों ने विकास तक नहीं देखा. इन ग्रामीणों के पास कोई सुविधा नहीं है. बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. बीमार को अस्पताल ले जाना मुश्किल है गांव बालों का कहना है कि अधिकारी हो या फिर जनप्रतिनिधि सभी से गुहार लगाई चुनाव के वक्त वादे तो किए जाते हैं लेकिन आजतक किसी ने सुनवाई नहीं की.

आखिर क्या कहा इस गांव के रहने वाले आदिवासी ग्रामीणों ने 

ग्रामीण तुलसीराम आदिवासी, रामजीलाल आदिवासी समेत अन्य ग्रामीणों ने कहा आजतक यहां न तो रोड़ है न तो पीने का पानी है. नाला का पानी पीते हैं. सभी बच्चों से लेकर अन्य ग्रामीण बीमार पड़ जाते है. यहां पर कोई भी वाहन नहीं जा सकता है. इतना ही नहीं नाला आ गया तो पढ़ाई बंद. यहां के ग्रामीण कीड़े और मकोड़े की जिंदगी जी रहे है.सरकार और प्रशासन किसी ने अभी तक ध्यान तक नहीं दिया.

गांव में न आंगनवाड़ी न स्कूल बेबस बच्चों की जिंदगानी

ग्रामीणों का आरोप है कि इस गांव में न तो स्कूल है और न ही आंगनवाड़ी भवन स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे खुले आसमान के नीचे अपनी पढ़ाई को पूरी करने को मजबूर है.सरकार और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाने की वजह से यह यहां के ग्रामीण कीड़े मकोड़ों की तरह जिंदगी जी रहे हैं.

उम्मीद है यह भरोसा हर बार की तरह नहीं होगा. क्योंकि अब बहुत देर हो चुकी है कई पीढ़ियां इन्ही तकलीफों के साथ गुजर रही हैं. विकास की उम्मीद लगाए ये ग्रामीण दुःख तकलीफों में जी रहे हैं. इनके दर्द को महसूस करिए क्योंकि इन्हें भी सड़क पानी और सरकारी मूलभूत सुविधाओं का हक और इन्हें भी बेहतर जिंदगी जीने के अधिकार है.

पूर्व वन मंत्री और विधायक पर भी लगे गंभीर आरोप

पूर्व वन मंत्री रामनिवास रावत पर ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले की जानकारी पूर्व वन मंत्री रामनिवास रावत को दी परन्तु उन्होंने भी कोई सुनवाई नहीं की. इसके अलावा वर्तमान विधायक मुकेश मल्होत्रा ने तो इस गांव में आकर तक नहीं देखा.चुनाव के समय झूठा वादा करके चले गए और ग्रामीणों को अभी तक कुछ हासिल नहीं हुआ

इस संबंध में कराहल एसडीएम मनोज गढ़वाल को कॉल कर जानकारी लेनी चाही परंतु उन्होंने कॉल का जवाब नहीं दिया.

 

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