दाल उद्योग मंडी टैक्स और जीएसटी की दोहरी मार से परेशान, मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन

सूक्ष्म और लघु उद्योगों (एमएसएमई) श्रेणी में होने के बाद भी दाल उद्योगों को किसी तरह की राहत नहीं मिल रही। इसके उलट दाल उद्योगों पर दोहरे टैक्स का भार आ रहा है। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को ज्ञापन सौंपा और मांग की कि प्रदेश में मंडी टैक्स से दलहन और अनाज को छूट मिलना चाहिए। दोहरे टैक्स के चलते मप्र से दाल मिलों के पलायन की ओर भी मुख्यमंत्री ने ध्यान दिलाया।

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मप्र में दलहन पर मंडी टैक्स

ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल व पदाधिकारी पूर्व सांसद व पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे के साथ मुख्यमंत्री से दाल उद्योग की परेशानी पर चर्चा करने भोपाल पहुंचे। दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने मुख्यमंत्री से कहा कि मप्र में दलहन पर मंडी टैक्स लगा रखा है। यह टैक्स सिर्फ प्रदेश की उपज पर ही नहीं लग रहा। कोई कारोबारी किसी दूससे प्रदेश या देश से दलहन आयात करता है तो उसे भी प्रदेश में अलग से मंडी टैक्स देना होता है।

अनाज दलहन को पूरी तरह मंडी टैक्स से छूट

जबकि जहां से वह दलहन खरीदा है उस प्रदेश या आयात के लिए केंद्र सरकार को भी वह टैक्स देता ही है। ऐसे में मप्र में दलहन पर दो बार टैक्स लग जाता है। जबकि अन्य प्रदेशों में तो दलहन व अनाजों को मंडी टैक्स से बाहर रखा गया है। कुछ प्रदेश जो दलहन पर मंडी टैक्स ले रहे हैं वह भी आयातित दलहन पर दोबारा टैक्स नहीं लेते। छत्तीसगढ़ में अनाज दलहन को पूरी तरह मंडी टैक्स से छूट है। गुजरात और महाराष्ट्र में बाहरी दलहन पर मंडी टैक्स नहीं लिया जाता। ऐसे में मप्र के दाल उद्योग अब धीरे-धीरे जलगांव, अकोला, दाहोद, आणंद जैसे दूसरे प्रदेश के शहर में शिफ्ट हो रही है।

आज होगी जीएसटी पर भी बात

ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन की वार्षिक बैठक इंदौर में आयोजित होगी। इस दौरान देशभर के मिलर्स इसमें शामिल होंगे। बैठक में दालों पर लग रहे 5 प्रतिशत जीएसटी का मुद्दा भी उठेगा। एसोसिएशन के अनुसार जीएसटी लागू होने के पहले दालों पर किसी भी तरह का टैक्स या वाणिज्यकर नहीं लगता था। अब 5 प्रतिशत टैक्स लग रहा है। एसोसिएशन के पदाधिकारी अलग-अलग प्रदेशों के जरिए जीएसटी काउंसिल तक मुद्दा उठाने और जीएसटी से दालों को राहत दिलाने की मांग रखेंगे।

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