डीजीपी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सफेदपोश लोगों की आड़ में बाल उत्पीड़न जैसे घिनौने अपराध को अंजाम दिया जा रहा है. समाज में ऐसे मामलों के खिलाफ आवाज उठाने के बजाय, पुलिस के खिलाफ ही आंदोलन होने लगते हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.उन्होंने यह भी बताया कि मानव तस्करी, नारकोटिक्स के बाद दूसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध बन चुका है. पिछले कुछ वर्षों में करीब 7 हजार बच्चों के लापता होने के मामले दर्ज हुए, जिनमें से 4500 से 5 हजार बच्चों को बरामद कर लिया गया, लेकिन अभी भी 2 से 3 हजार बच्चों का कोई सुराग नहीं है. इन बच्चों को बाल श्रम, भिक्षावृत्ति और वेश्यावृति जैसे धंधों में धकेला जा रहा है.
इस साल अब तक 150 से अधिक मानव तस्करी से जुड़े आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है. साथ ही, गुमशुदगी के मामलों में भी वृद्धि देखी गई है, जो पहले लगभग 3 हजार थे, अब 10 से 12 हजार तक पहुंच गए हैं.