नर्सरी में पढ़ाई के 2.5 लाख… वायरल फीस स्ट्रक्चर को देख लोग बोले- ABCD सीखने के लाखों रुपये!

हैदराबाद के एक प्राइवेट स्कूल की नर्सरी कक्षा की सालाना फीस ₹2.51 लाख होने की खबर ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है. यह खुलासा धर्म पार्टी ऑफ इंडिया की संस्थापक अनुराधा तिवारी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट के ज़रिए किया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए शिक्षा की affordability (सामर्थ्य) और transparency (पारदर्शिता) को लेकर बहस तेज़ हो गई है.

ABCD सीखने के लिए हर महीने 21 हजार फीस

फीस स्लिप की फोटो पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा, ‘अब ABCD सीखने के लिए आपको 21,000 रुपये प्रति माह देने होंगे. ये स्कूल आखिर क्या पढ़ा रहे हैं जो इतनी ज़्यादा फ़ीस को जायज़ ठहराते हैं.’ स्कूल की फीस संरचना के अनुसार, प्री-प्राइमरी I और II की फीस सालाना 2,42,700 रुपये है. वहीं, कक्षा 1 और 2 की फीस सालाना 2,91,460 रुपये है.

यूजर्स ने कहा- ऐसे स्कूलों से दूर रहें

छोटी क्लास की इतनी ज्यादा फीस हो लेकर सोशल मीडिया पर लोग निराशा व्यक्त कर रहे हैं. यूजर्स ने इस तरह के शुल्क के पीछे के तर्क पर सवाल उठाए हैं. कुछ यूजर्स ने कहा कि इससे अच्छा है कि ऐसे स्कूलों में बच्चों का एडमिशन ही ना कराया जाए. लोगों का कहना है कि नर्सरी क्लास में ऐसा क्या पढ़ाया जा रहा है, जिसके लिए ढाई से तीन लाख तक फीस दी जा रही है.

एक यूज़र ने कहा, ‘अगर आप फीस नहीं दे सकते, तो अपने बच्चों को इस स्कूल में न भेजें. सीधी-सादी बात है.” एक अन्य यूजर ने कहा, ‘यह पूरी प्रक्रिया एक तरह का घोटाला बन गई है। कुछ चीज़ों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने की ज़रूरत है.’

भारत की शिक्षा नीति में सुधार करने की जरूरत

एक तीसरे यूज़र ने कहा कि “भारत को अपनी शिक्षा नीति में सुधार करने की ज़रूरत है क्योंकि बोर्ड परीक्षाएं आसान होती हैं और प्रतियोगी परीक्षाएं कठिन, फिर निजी कोचिंग आती है, और निजी कोचिंग की वजह से भारत में शिक्षा शुल्क और मुद्रास्फीति बहुत ज़्यादा है. बड़ी संख्या में लोग निजी कोचिंग संस्थानों में जाते हैं, और निजी कोचिंग संस्थान अपनी मनमानी करते हैं और अपनी मर्ज़ी से फीस बढ़ाते हैं.”

हाल ही में, कॉइनस्विच और लेमन के सह-संस्थापक आशीष सिंघल ने प्राथमिक कक्षाओं की बढ़ती स्कूल फीस के एक ऐसे ही मुद्दे पर चर्चा की. उन्होंने एक रिपोर्ट का ज़िक्र किया जिसमें कहा गया था कि फीस हर साल 10-30% की दर से बढ़ रही है, जो मध्यम वर्ग की आय वृद्धि से भी तेज़ है.

Advertisements