संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने मानसून सत्र में विपक्ष के रवैये पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष संसद सत्र के पहले दिन से हंगामा कर रहा है. विपक्ष की ही मांग पर सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा लेकर आई. तय समय से भी अधिक समय तक चर्चा हुई. कई नोटिस आए हैं. किसी भी विषय पर चर्चा कर सकते हैं. विषय पर चर्चा न करके एक मुद्दे को लेकर ये लोग सीधे वेल में आ जाते हैं. ये लोग सदन नहीं चलने दे रहे हैं.
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, विपक्ष आरोप लगाता है कि इन्हें बोलने नहीं दिया जाता. सच तो ये है कि विपक्ष खुद सदन चलने नहीं देता और कहता है कि बोलने नहीं देते. नियम के तहत बोलने की आजादी सभी को है. राहुल गांधी देश के खिलाफ बयान दे रहे हैं. विपक्ष के भी कई सदस्यों ने कहा कि यह ठीक नहीं है. राहुल गांधी भारत की अर्थव्यवस्था और छवि को ऐसे ठेस नहीं पहुंचा सकते. राहुल को समझना चाहिए कि वो छोटे बच्चे नहीं हैं. देश का मान-सम्मान और छवि कायम रहे, यह सबकी जिम्मेदारी है. इतनी समझ नेता विपक्ष में होनी चाहिए.
जनता इसका हिसाब विपक्ष से मांगेगी
किरेन रिजिजू ने कहा, संसद नहीं चलने से सबसे ज्यादा नुकसान विपक्ष को ही हो रहा है. संसद को बाधित करने के लिए इन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए. जो रूल में नहीं है, उस पर चर्चा नहीं हो सकती. विपक्ष ने दो सप्ताह का समय नष्ट किया है. देश की जनता इसका हिसाब-किताब विपक्ष से मांगेगी. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के CISF वाले आरोप पर भी जवाब दिया.
कुछ सांसद टेबल पर चढ़कर नाचते हैं
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सीआईएसएफ संसद की सुरक्षा के लिए है. सांसदों की ही मांग थी कि सुरक्षा अच्छी होनी चाहिए. यह सरकार नहीं देखती, चेयर तय करती है. कुछ सांसद टेबल पर चढ़कर नाचते हैं. प्रॉपर्टी को नुकसान ना हो इसके लिए प्रबंध किया है. इसका मतलब यह नहीं कि सांसदों को बोलने से रोका जा रहा है. हम चेयर से बात करेंगे. सांसद को फिजिकली नहीं पकड़ेंगे. उनका भी प्रिविलेज है.
इसके साथ ही उन्होंने राहुल गांधी के वोटों की चोरी वाले आरोप पर भी प्रतिक्रिया दी. किरेन रिजिजू ने कहा कि राहुल ने कई बार संवैधानिक संस्थाओं को धमकी दी है. कई राज्यों में कांग्रेस और उसके सहयोगी भी जीते, वो कैसे जीते? यह लोकतंत्र को कमजोर करने का षड्यंत्र है. यह देश के लोकतंत्र पर हमला है. इस मुद्दे के अलावा उन्होंने बिहार एसआईआर पर पर भी प्रतिक्रिया दी.
हम निर्णय नहीं कर सकते कि चर्चा होगी या नहीं
क्या बिहार एसआईआर पर चर्चा हो सकती है? इस सवाल के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि जिस एग्जीक्यूटिव काम के लिए मंत्री जिम्मेदार नहीं है, उसका जवाब कौन देगा? यह तो रूल में लिखा है कि कोई मंत्री जिससे संबंधित नहीं है, उसका जवाब नहीं दे सकते. हम निर्णय नहीं कर सकते कि चर्चा होगी या नहीं, यह तो चेयर तय करेगी.
उन्होंने कहा कि तत्कालीन स्पीकर बलराम जाखड़ ने रूलिंग दी थी कि चुनाव आयोग के काम पर चर्चा नहीं हो सकती. चुनाव सुधार पर चर्चा हो सकती है लेकिन आयोग के फ़ंक्शन पर चर्चा नहीं कर सकते. वो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. 1986 में यह रूलिंग आई थी. वासुदेव आचार्य यह प्रस्ताव लाए थे.