उदयपुर: ऋषभदेव आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा के प्रति लोगों की उदासीनता की आम धारणा को गलत साबित करते हुए ऋषभदेव ब्लॉक के कोजावाड़ा क्षेत्र के एक अभिभावक ने ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गया है. यहां रहने वाले प्रकाश मीणा ने अपने बच्चों के साथ-साथ पूरे गांव के बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए सराहनीय निर्णय लिया — उन्होंने तब तक के लिए अपना घर स्कूल को सौंप दिया, जब तक कि विद्यालय का नया भवन तैयार नहीं हो जाता.
दरअसल, यह मामला प्राथमिक विद्यालय नलाफ़ला से जुड़ा है, जो पीईईओ कोजावाड़ा के अंतर्गत आता है. हाल ही में झालावाड़ की स्कूल भवन दुर्घटना के बाद राज्य भर में जर्जर सरकारी विद्यालयों की समीक्षा की जा रही है. इसी क्रम में जांच के दौरान नलाफ़ला विद्यालय के भवन को असुरक्षित घोषित कर दिया गया और तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश दिए गए. इससे बच्चों की पढ़ाई रुकने की स्थिति बन गई थी.
ऐसे संकट की घड़ी में गांव के जिम्मेदार नागरिक प्रकाश मीणा आगे आए. उन्होंने बिना किसी औपचारिक अनुरोध के खुद पहल करते हुए यह घोषणा की कि जब तक विद्यालय का नया भवन नहीं बनता, तब तक उनका घर स्कूल के रूप में उपयोग में लिया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि उनका घर स्कूल से मात्र 300 मीटर की दूरी पर है, जिससे बच्चों की आवाजाही में भी कोई समस्या नहीं होगी.
प्रकाश मीणा के इस निर्णय की अहमियत इस बात से भी समझी जा सकती है कि वे स्वयं एक बड़े परिवार के मुखिया हैं. उनके घर में पांच बेटियां, तीन बेटे और एक नेत्रहीन भाई हैं, जिनकी देखभाल वे करते हैं. बावजूद इसके उन्होंने अपने निजी कष्टों को दरकिनार कर बच्चों की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी.
गांव की सरपंच अनीता देवी, पीईईओ संतोष व्यास, उप प्रधानाचार्य लक्ष्मण लाल मीणा सहित विद्यालय स्टाफ और पंचायत सदस्यों ने उनके इस निस्वार्थ कार्य की खुले दिल से प्रशंसा की. प्रकाश मीणा का यह प्रयास न सिर्फ एक स्कूल को बचाने वाला कदम है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि शिक्षा की अलख अब गांव-गांव तक पहुंच चुकी है.
इस प्रेरणादायक पहल से यह संदेश मिलता है कि सामाजिक बदलाव के लिए किसी बड़े संसाधन की नहीं, बल्कि एक बड़े दिल और संकल्प की जरूरत होती है.