राजस्थान: लोक अदालत के समझौते को हल्के में लेना पड़ा भारी – 6 लाख नहीं लौटाए तो पहुंचा जेल…जानिए पूरा मामला

डीडवाना – कुचामन: जिसने सोचा था कि 6 लाख की रकम चुपचाप टालकर बच निकलेगा, उसे अब अगले 30 दिन परबतसर की सिविल जेल की सलाखों के पीछे बिताने होंगे. कुचामन के न्यू कॉलोनी निवासी महेश कुमार को चैक की रकम नहीं चुकाना महंगा पड़ गया. दरअसल, वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं एसीजेएम कोर्ट में राधेश्याम द्वारा दाखिल एनआई एक्ट केस में 28 सितंबर 2024 को लोक अदालत में दोनों पक्षों में समझौता हुआ था. तय हुआ कि महेश कुमार 6 लाख 15 हजार रुपए चार महीने में चुका देगा. लेकिन तय समय बीतने के बावजूद रुपये की एक पाई भी नहीं लौटाई गई.

इस पर राधेश्याम के वकील महेश कुमार पारीक ने कोर्ट में इजराय लगाई. कोर्ट ने नोटिस भेजा, जवाब नहीं आया तो ,न्यायधीश कामाक्षी मीणा की ओर से गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया गया.

यहां से जिम्मेदारी उठाई कोर्ट के सहायक नाजिर गोविन्द राम लोमरोड़ ने. उन्होंने बिल्कुल फिल्मी अंदाज में महेश कुमार के घर न्यू कॉलोनी, स्टेशन रोड पर दस्तक दी और बिना देरी किए उसे हिरासत में लिया. कोर्ट में पेश किया गया, जहां न्यायाधीश ने उसे सीधे 30 दिन की सिविल जेल भेजने का आदेश दिया.

अब जब तक महेश कुमार पूरी रकम जमा नहीं करता, तब तक उसे जेल में ही रहना होगा. इस पूरी कार्रवाई में सहायक नाजिर गोविन्द राम लोमरोड़ की अहम भूमिका रही, वहीं प्रोसेस सर्वर रामनिवास ने भी मोर्चा संभाले रखा.

यह मामला आम जनता के लिए भी एक सबक है — कोर्ट के समझौते मज़ाक नहीं होते, और अदालत जब सख्त होती है तो बच निकलना आसान नहीं होता.

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