सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, ‘अदालत की कस्टडी से 5 साल के बच्चे को छीनना दिल्ली पुलिस की घोर लापरवाही

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली पुलिस की घोर लापरवाही के कारण एक पांच साल के बच्चे को उसकी कस्टडी से छीन लिया गया है. कोर्ट ने इसको लेकर पुलिस की कड़ी आलोचना की, जिसने दावा किया था कि एयरलाइन बोर्डिंग पास से संबंधित विवरण न बताने के लिए अपनी गोपनीयता नीति का हवाला दे रही है.

कोर्ट ने कहा कि, दुनिया की कोई भी एयरलाइन अपराध के मामले में गोपनीयता का हवाला नहीं दे सकती.जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने दिल्ली पुलिस की घोर लापरवाही के लिए कड़ी आलोचना की, क्योंकि उसने एक रूसी महिला को बच्चे के साथ देश से भागने दिया, जो बच्चे के भारतीय पिता के साथ चल रहे कस्टडी विवाद में उसके आदेशों का उल्लंघन है.

बेंच ने केंद्र द्वारा प्रस्तुत स्थिति रिपोर्ट की जांच की. 21 जुलाई को ही सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि महिला नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात होते हुए रूस पहुंच चुकी होगी. अदालत में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि रूसी महिला दिल्ली से बिहार के एक रेलवे स्टेशन तक टैक्सी से गई थी और 8 जुलाई को वहां पहुंची. फिर वह नेपाल पहुंची और 12 जुलाई को नेपाल से शारजाह के लिए उड़ान भरी और फिर रूस पहुँची.

आज सुनवाई के दौरान, बेंच ने कहा कि दिल्ली पुलिस की घोर लापरवाही के कारण महिला ने दिल्ली से बिहार तक टैक्सी से यात्रा की. पीठ ने दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि चूंकि बच्चे का पासपोर्ट यहां अदालत में जमा है, तो उसे यात्रा करने की अनुमति कैसे दी गई. बेंच ने बच्चे के पासपोर्ट में जालसाजी या नकल की संभावना पर चिंता व्यक्त की और कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली पुलिस ने इस पहलू पर विचार नहीं किया.

स पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस बोर्डिंग पास के संबंध में कोई जवाब नहीं दे रही है और केंद्र राजनयिक माध्यमों का उपयोग कर रहा है. न्यायमूर्ति बागची ने कहा, “काठमांडू हवाई अड्डा प्राधिकरण के पास निश्चित रूप से बोर्डिंग पास और संबंधित इमिग्रेशन दस्तावेजों का डेटाबेस होगा… मुझे लगता है कि हवाई अड्डा प्राधिकरणों के पास इंटरपोल के माध्यम से एक खुफिया जानकारी साझा करने वाला प्लेटफॉर्म है. इसलिए, आप इस उद्देश्य के लिए इंटरपोल का उपयोग कर सकते हैं… आपने पहले ही लुकआउट (सर्कुलर) जारी कर दिया है, तो इंटरपोल का अधिकार क्षेत्र माना जाता है.”

भाटी ने कहा कि संबंधित अधिकारियों ने एयरलाइनों से संपर्क किया है और वे विशेष रूप से गोपनीयता का हवाला दे रहे हैं, इसलिए सरकार राजनयिक माध्यमों का उपयोग कर रही है. न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “धरती पर कोई भी एयरलाइन अपराध के मामले में गोपनीयता का हवाला नहीं दे सकती. वे जानकारी कैसे छिपा सकते हैं, अपराध के मामले में गोपनीयता जैसी कोई चीज नहीं होती.”

बेंच ने केंद्र से यह पता लगाने को कहा कि क्या महिला और बच्चा रूस में हैं. भाटी ने कहा कि इसकी भी कोई पुष्टि नहीं है. जस्टिस कांत ने कहा कि, यूएई ऐसा देश नहीं है जो सहयोग नहीं करेगा. मुझे विश्वास है कि दोनों देश जिस तरह का सौहार्द बनाए रखते हैं, वे जाँच में पूरा सहयोग देंगे…”.

बेंच ने कहा कि संबंधित अधिकारी इस मामले को हल्के में ले रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि बच्चे को उसकी मां ने वैवाहिक विवाद में ले लिया है. न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “ऐसा नहीं है. यह कस्टडी का विवाद है. दोनों (माता और पिता) में से किसी को भी बच्चे की कस्टडी नहीं दी गई है. अदालत बच्चे की संरक्षक है. बच्चे को भारत के सुप्रीम कोर्ट की कस्टडी से छीन लिया गया है; इसलिए, हम इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं. अगर कोई चाहेगा, तो हम बहुत कठोर आदेश पारित करेंगे.”

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