औरंगाबाद: भारतमाला परियोजना अंतर्गत निर्माण हो रहे वाराणसी कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को लेकर औरंगाबाद जिले के किसान खासे हतास और निराश हैं. अधिकांश किसानों को अभी तक उनकी भूमि के बदले कोई मुआवजा राशि नहीं मिली है लेकिन यहां के अधिकारी पीएनसी कंपनी के साथ सांठ गाँठ कर अक्सर किसी ना किसी गांव पर जुल्म ढा दे रहे हैं.शुक्रवार को नबीनगर अंचल अंतर्गत पांडे कर्मा और इगुनी डिहबार गांव में बंदूक के जोर पर किसानों के खड़ी फसलों को ट्रैक्टर चलाकर रौंद दिया गया. इन गांवों में अभी किसी किसान को मुआवजा राशि नहीं दी गई है बावजूद किसानों के फसलों को बर्बाद कर दिया गया. एक तरफ प्रभावित किसान सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए बताते हैं कि बिना मुआवजा दिए आप किसान का जमीन नहीं ले सकते.
वही मौके पर मौजूद अधिकारी ऊपर से मिले आदेश का हवाला देते हुए अपने कर्तव्य का पालन बताते हैं.मौके पर उपस्थित प्रभावित किसान अनिरुद्ध पांडेय ने बताया कि हमारे गांव के किसी किसान को अभीतक कोई मुआवजा नहीं मिला है और यह मुआवजा कबतक मिलेगा इसका भी कोई अता पता नहीं है.हम खेती नहीं करेंगे तो खायेंगे क्या ? श्री पांडे ने सरकार को किसान विरोधी और प्रशासनिक अधिकारियों को कंपनी का दलाल बताते हुए कहा कि जिस तरह से आज किसानों के साथ दमनकारी हरकत किया गया वह अंग्रेजों का राज ख्याल दिला दिया. भारतीय किसान यूनियन के जिला संयोजक वशिष्ठ प्रसाद सिंह ने खड़ी फसलों को रौंदने पर भारी रोष प्रकट करते हुए अधिकारियों के खिलाफ अदालत जाने की बात कही.
श्री सिंह ने कहा कि पिछले दो वर्षों से किसान उचित मुआवजा को लेकर आंदोलन कर रहे है पर सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगा उल्टे बिना कोई मुआवजा दिए सरकार हमारी जमीनों को हड़प लेना चाहती है. उन्होंने यह भी बताया कि कैमूर तथा रोहतास के किसानों का मुआवजा दो गुना कर दिया गया पर औरंगाबाद में उन्हें मुफ्त में जमीन चाहिए.