‘फोन तक भारी लगने लगा था’, अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु शुक्ला ने सुनाए मजेदार किस्से

Ax-4 अंतरिक्ष मिशन से धरती पर सफलतापूर्वक लौटने के बाद भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ल ने पहली बार मीडिया से बातचीत की और माइक्रोग्रैविटी के बाद पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से दोबारा तालमेल बैठाने की अनूठी चुनौतियों के बारे में खुलकर जिक्र किया.

शुभांशु शुक्ला ने कहा कि पहली बार जब हम पृथ्वी से बाहर निकले तो हमें एहसास हुआ कि गुरुत्वाकर्षण कितना महत्वपूर्ण है. अंतरिक्ष में जब ग्रैविटी खत्म हो जाती है तो शरीर को उस शून्य गुरुत्व वाले वातावरण में ढलने में समय लगता है और जब आप वापस लौटते हैं, तो फिर से उसी प्रक्रिया से गुजरना होता है.

उन्होंने मुस्कराते हुए बताया कि जब लैंडिंग के बाद उन्होंने अपना फोन मांगा तो उसे पकड़ते ही हैरान रह गए, क्योंकि स्पेस से लौटने के बाद फोन भी भारी लगने लगा था. ये अनुभव इस बात का प्रमाण है कि अंतरिक्ष में शरीर किस तरह से खुद को हल्का महसूस करने का अभ्यस्त हो जाता है.

‘तीन से चार दिन में हम सामान्य हो गए’

शुभांशु ने कहा कि धरती पर लौटने के बाद शरीर को फिर से संतुलन में बनाना और अपने वजन को संभालना सीखना पड़ता है. इसके लिए विशेष पुनर्वास (rehabilitation) प्रोग्राम होता है, जिसमें शरीर की ताकत, संतुलन और तालमेल को धीरे-धीरे डेवलप किया जाता है. उन्होंने बताया कि तीन से चार दिनों में हम सामान्य हो गए थे.

लैपटॉप गिराने का किस्सा सुनाया

इस दौरान उन्होंने एक दिलचस्प किस्सा भी शेयर किया. शुभांशु ने कहा कि मैंने अचानक अपना लैपटॉप छोड़ दिया और ये सोचा कि वह हवा में तैरता रहेगा, लेकिन वह ज़मीन पर गिर पड़ा.

जीरो ग्रैविटी में कई प्रयोग किए

इस मिशन के दौरान अपने एक्सपीरियंस शेयर करते हुए शुभांशु ने बताया कि उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन पर जीरो ग्रैविटी में कई प्रयोग किए. उन्होंने कहा कि सब कुछ तैरता रहता है और उन परिस्थितियों में प्रयोगों को सफलतापूर्वक पूरा करना एक बड़ी चुनौती होती है. कुछ प्रयोगों के तो अंतरिक्ष में ही स्पष्ट परिणाम मिलने लगे थे, जो काफी प्रेरणादायक थे.

‘अगली अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार’

इस मिशन के दौरान जो वैज्ञानिक डेटा और सैंपल कलेक्ट किए गए, उन्हें भारत के शोध संस्थानों को भेजा जा चुका है. शुभांशु ने कहा कि जल्द ही वे इन वैज्ञानिक परिणामों पर विस्तार से चर्चा करेंगे. बातचीत के अंत में उन्होंने भरोसे के साथ कहा कि अब मैं पूरी तरह सामान्य महसूस कर रहा हूं और अगली अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार हूं. उनका यह आत्मविश्वास भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन की नई ऊंचाइयों की ओर संकेत करता है.

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