राज्यसभा के पूर्व सभापति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं. चुनाव से पहले बीजेपी ने राज्यसभा में एक राजनीतिक बढ़त हासिल की है. बीजेपी ने अप्रैल 2022 के बाद पहली बार राज्यसभा में 100 का आंकड़ा पार कर लिया है. इन सदस्यों में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत हुए तीन सदस्य भी शामिल हैं.
बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने-अपने क्षेत्र में निपुण चार लोगों को राज्यसभा सदस्य के रूप में मनोनीत किया था. जिसमें प्रख्यात वकील उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला सामाजिक कार्यकर्ता सी सदानंदन मास्टर और राजनीतिक इतिहासकार मीनाक्षी जैन शामिल है.
कैसे मिली ये बढ़त
पिछले महीने शपथ लेने वाले चार मनोनीत सदस्यों में तीन सदस्य बीजेपी में शामिल हो गए हैं. जिसमें राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ लेने वाले प्रख्यात वकील उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और सामाजिक कार्यकर्ता सी सदानंदन मास्टर शामिल हो गए. इन मनोनीत सदस्यों के शामिल होने से बीजेपी ने एक बार फिर राज्यसभा में अपने सदस्यों की संख्या 102 के पार कर दी है.
दूसरी बार हासिल की ये बढ़त
यह पहली बार नहीं है जब राज्यसभा सांसदों में बीजेपी की सीटें 100 से अधिक हुई हो. इससे पहले 31 मार्च, 2022 को 13 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनावों के नतीजे घोषित होने के बाद, बीजेपी के सांसदों की संख्या 97 से बढ़कर 101 हो गई थी. कांग्रेस को 1988 और 1990 के बीच यह गौरव प्राप्त था.
एनडीए के राज्यसभा में इतने सांसद
राज्यसभा में मौजूदा सांसदों की संख्या 240 है, जिसमें 12 नामित सदस्य भी शामिल हैं और 5 सीटें अभी खाली हैं. वर्तमान समय में सदन में बीजेपी के सांसदों की संख्या 134 है. जिसमें 12 मनोनीत सदस्यों में से 5 सदस्य भी शामिल हैं. इस तरह बीजेपी के पास अकेले 102 सांसद हैं. जो सदन में बहुमत के लिए जरूरी 121 के आंकड़े से कहीं ज्यादा है.
कौन हैं ये तीनों सदस्य
प्रख्यात वकील उज्जवल निकम एक विशेष सरकारी वकील हैं. इन्होंने 26/11 के मुंबई हमलों के आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी दिलाई थी. इसके साथ भी कई ऐसे केस जीते जो देश के हित के लिए जरूरी थे. इन्हें 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
हर्षवर्धन श्रृंगला 2020 से 2022 के तक भारत के विदेश सचिव थे और 2023 में जी 20 शिखर सम्मेलन के मुख्य समन्वयक के रूप में कार्य किया था. उन्होंने अमेरिका में भारत के राजदूत और बांग्लादेश में उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है.
सी सदानंदन मास्टर केरल के एक सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक हैं. 1994 में उनके पैर काट दिए गए थे, और उन्होंने दावा किया था कि यह हमला सीपीएम कार्यकर्ताओं ने किया था, जो उनके बीजेपी में शामिल होने से नाराज थे.
इसके अलावा राजनीतिशास्त्री और इतिहासकार मीनाक्षी जैन को भी राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था. वह भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की सदस्य थीं और उन्हें 2020 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.