जबलपुर: आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) जबलपुर इकाई को एक बड़ी सफलता मिली है. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय पासपोर्ट बनवाकर जबलपुर में अवैध रूप से रह रहे एक अफगानी नागरिक और उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया है. मामले में एक बड़ा रैकेट सामने आया है, जो देशभर में अफगान नागरिकों को फर्जी भारतीय पहचान दिलाने में संलग्न था.
मुखबिर की सूचना पर एटीएस ने जबलपुर से अफगानी नागरिक सोहबत खान पिता बदरुद्दीन खान को गिरफ्तार किया, जो करीब 10 वर्षों से जबलपुर में अवैध रूप से रह रहा था. आरोपी ने न केवल एक स्थानीय महिला से विवाह कर भारतीय पहचान बनाई, बल्कि फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से वर्ष 2020 में भारतीय पासपोर्ट भी बनवा लिया था.
फर्जी दस्तावेज के आधार पर बने पासपोर्ट
एटीएस की जांच में यह भी सामने आया है कि सोहबत पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में रह रहे अन्य अफगानी नागरिकों के लिए भी जबलपुर के फर्जी पते पर दस्तावेज तैयार कर, भारतीय पासपोर्ट बनवा रहा था. अब तक करीब 20 ऐसे अफगानी नागरिकों की जानकारी सामने आई है. इनमें पश्चिम बंगाल निवासी अकबर और इकबाल के पासपोर्ट फर्जी पते से बन भी चुके हैं.
इनको किया गया गिरफ्तार
एटीएस ने सोहबत खान, निवासी 8 नल छोटी ओमती, दिनेश गर्ग, पिता श्रवण कुमार गर्ग, उम्र 40 वर्ष, निवासी विजय नगर, जबलपुर वनरक्षक, वर्तमान में कलेक्टर कार्यालय के चुनाव सेल में पदस्थ, महेंद्र कुमार सुखदन, पिता माधव प्रसाद सुखदन, उम्र 45 वर्ष, निवासी एपीएन स्कूल के पास, कटंगा, जबलपुर शामिल हैं.
आधार कार्ड में ऑनलाइन फर्जीवाड़ा
जांच में खुलासा हुआ कि पासपोर्ट बनवाने से पूर्व आधार कार्ड में पता ऑनलाइन बदलकर जबलपुर किया गया. इसके बाद स्थानीय युवकों की मदद से दस्तावेज तैयार करवाए गए, पुलिस वेरिफिकेशन हुआ और पोस्ट ऑफिस से पासपोर्ट हासिल किया गया.
10 लाख से अधिक के लेन-देन के प्रमाण
अब तक एटीएस को इस नेटवर्क के जरिए 10 लाख रुपये से अधिक के लेन-देन के प्रमाण मिले हैं. दस्तावेज तैयार करने, वेरिफिकेशन कराने और डाक से पासपोर्ट डिलीवर कराने में कुछ सरकारी कर्मियों की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है. एटीएस ने अन्य अफगानी नागरिकों की पहचान और रैकेट में शामिल स्थानीय सहयोगियों की तलाश तेज कर दी है.