नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस एसआईआर के मामले पर फिर आक्रामक रुख दिखाया है. तेजस्वी यादव ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में धांधली की गई है. शनिवार को एक पोलो रोड स्थित अपने सरकारी आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए तेजस्वी यादव ने यह बातें कहीं. तेजस्वी यादव ने कहा कि हम शुरू से ही इस पूरे मामले पर अपनी आवाज को उठाते रहे. हमारे सुझाव को नहीं माना गया. सुप्रीम कोर्ट के सुझाव की भी अनदेखी चुनाव आयोग की तरफ से की गई. शुरू से ही हमारा कहना था कि जो नई वोटर लिस्ट आएगी तो कई गरीब लोगों के नाम नहीं रहेंगे, लेकिन चुनाव आयोग का कहना था कि किसी का नाम नहीं कटेगा.
तेजस्वी यादव ने कहा कि मेरा नाम वोटर लिस्ट में नहीं है. उनका नाम काट दिया गया है. उन्होंने सवाल पूछा है कि अब मैं चुनाव कैसे लड़ूंगा? तेजस्वी ने दावा किया है कि उन्होंने एसआईआर के दौरान गणना प्रपत्र भी भरा था, इसके बावजूद भी नाम काटा गया है.
तेजस्वी नेता ने कहा कि चुनाव आयोग के द्वारा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. सूची सभी राजनीतिक दलों को दी जा रही है, लेकिन चोर की दाढ़ी में तिनका है. वह हम लोग बताएंगे. चुनाव आयोग के द्वारा कहा गया था कि मतदाता सूची से हटाए गए हर नाम की जानकारी और कारण बताया जाएगा. कल हमारा महागठबंधन के डेलिगेशन चुनाव आयोग गया था. हमने अपनी बातों को रखा है, लेकिन चुनाव आयोग ने एक बार भी हमारी बातों पर गौर नहीं किया. जो दो गुजराती बताएंगे, वही बिहार का वोटर होगा. जब वो कहेंगे बिहार की वोटर लिस्ट में उसी का नाम जाएगा. इसी प्रकार की गड़बड़ी चुनाव आयोग यहां करने के मूड में है. चुनाव आयोग ने नाम काटने की जानकारी तो दी है, लेकिन यह नहीं बताया कि नाम को किन कारण से काटा गया है. उन्होंने कई विधानसभा क्षेत्रों का हवाला भी दिया.
‘EC ने पहले ही मन बना लिया किस पार्टी की सरकार बनानी है’
उन्होंने कहा कि हर विधानसभा से 20 से 30 हजार नाम काटे गए हैं. लगभग 8.50 प्रतिशत नाम काट दिए गए हैं. तेजस्वी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने चालाकी और साजिश करते हुए न तो बूथ का नाम दिया है और न ही वोटर का पता दिया है, जबकि चुनाव आयोग को हम चुनौती दे रहे हैं कि वह पूरी जानकारी दे. चुनाव आयोग अपनी तरफ से जो भी जानकारी उपलब्ध कराता था, तो विभिन्न कारणों का हवाला देता था और बताया जाता था कि किन कारणों से नाम कटा है.
तेजस्वी ने कहा कि सबसे अहम ईपीआईसी नंबर नहीं दिया है ताकि हम इसका तुलनात्मक अध्ययन करें. यह चुनाव आयोग की चालाकी है. आपने पहले से ही मन बना लिया है कि किस पार्टी की सरकार बनानी है, तो इसी सरकार का एक्सटेंशन कर दीजिए. अगर अस्थाई पलायन से 36 लाख मतदाताओं का नाम कटेगा तो भारत सरकार के अपने आंकड़ों के अनुसार बिहार से बाहर तीन करोड़ से भी ज्यादा पलायन है. इस संख्या से ज्यादा होना चाहिए. अगर इलेक्शन कमिशन की माने तो यह संख्या तीन करोड़ से ऊपर होती है. क्या इनका फिजिकल वेरिफिकेशन किया गया था? क्योंकि यह गाइडलाइन में लिखा हुआ है. क्या मतदाताओं को उनका नाम काटने से पहले क्या नोटिस या सूचना दी गई थी?
चुनाव आयोग आखिर क्या छुपा रहा है? तेजस्वी
तेजस्वी ने एक के बाद एक 10 सवाल दागते हुए कहा कि चुनाव आयोग आखिर क्या छुपा रहा है? मेरा सवाल चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को हमारी बात नहीं सुनाई दी है. फिर भी हमारी कुछ मांगे हैं. निर्वाचन आयोग तत्काल उन मतदाताओं की सूची कारण सहित बूथ के हिसाब से उपलब्ध कराए, जिनका नाम मतदाता सूची में नहीं है. हम लोग कारण जानना चाहते हैं. जब तक यह पारदर्शिता हल नहीं होती, तब तक अपनी आपत्ति दर्ज करने की अवधि को बढ़ाया जाए. चुनाव आयोग ने केवल सात दिनों तक ही आपत्ति दर्ज करने का वक्त दिया है.
उन्होंने चुनाव आयुक्त को चुनौती देते हुए कहा कि अगर आपने अपना काम ईमानदारी से किया है, तो हमारे सवालों का जवाब दें. चुनाव आयुक्त जानकारी दें कि किन कारणों से 65 लाख लोगों का वोटर लिस्ट से नाम काटा गया है. ऐसा हम लोगों ने नहीं देखा है.