स्कूल हादसे में घायल बच्चों की आईसीयू में भी चल रही पाठशाला, काउंसलिंग से बच्चों के व्यवहार में हुआ बदलाव

झालावाड़: जिले के पीपलोदी गांव में हुए स्कूल हादसे की दुखद यादें बेशक लोगों के ज़हन से कभी नहीं मिट पाएंगी, लेकिन हादसे में घायल हुए वह बच्चे जो झालावाड़ अस्पताल में अपना उपचार करवा रहे हैं उनका जज्बा भी देखते ही बनता है. इतने बड़े हादसे से गुजरने के बाद इन बच्चों में पढ़ाई की ललक यह साबित करती है कि यह बच्चे कहीं ना कहीं पढ़ लिखकर अपने जीवन में ऊंची उड़ान भरने के सपने देखते हैं.

जानकारी के लिए आपको बता दें कि पीपलोदी हादसे में घायल हुए 11 बच्चों को उपचार के लिए झालावाड़ के मेडिकल कॉलेज में दाखिल करवाया गया था, जहां कुछ बच्चों की हालत बेहद खराब थी. लेकिन लगातार चल रहे इलाज और काउंसलिंग के पश्चात अब बच्चों की हालत में काफी सुधार आ गया है.

शहर के लोग एवं प्रशासन के अधिकारी लगातार बच्चों से मिलने पहुंच रहे हैं और मनोचिकित्सकों द्वारा बच्चों की काउंसलिंग भी की जा रही है, ऐसे में बच्चों के व्यवहार में काफी परिवर्तन आया है. बच्चों में पढ़ने लिखने की जो ललक है वह स्पष्ट नजर आने लगी है. घायल अवस्था में इलाज करवा रहे यह बच्चे अस्पताल के पलंग पर बैठकर भी अपनी कॉपी किताबें खोलकर पढ़ते हुए नजर आ रहे हैं जो अपने आप में एक बहुत बड़ा संदेश है. हादसे को याद करके बच्चे उदास तो होते हैं लेकिन उनकी आंखों में पढ़ लिखकर आगे बढ़ने के जो सपने पल रहे हैं वह कहीं ना कहीं बच्चों को इस हादसे से निकलने में भी मदद कर रहे हैं.

झालावाड़ अस्पताल में उपचार करवा रहे बच्चों में से अधिकांश बच्चे डॉक्टर इंजीनियर और वैज्ञानिक बनने के सपने देखते हैं. बच्चों से जब बात करते हैं तो वह यह भी चिंता जाहिर करते हैं कि अब वह कहां पढ़ाई करेंगे क्योंकि उनका स्कूल तो टूट गया है. सरकार और प्रशासन की लापरवाहियों का शिकार बने यह बच्चे शायद अभी तो यह भी नहीं जानते कि उनके कई साथी इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं. यकीनन यह अब जबकि फिर से अपने स्कूल को लौटेंगे तो इन्हें कुछ ऐसे चेहरे भी जरूर याद आएंगे जो पहले उनके साथ उनकी कक्षाओं में बैठकर पढ़ा करते थे.

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