मिर्ज़ापुर: शुक्रवार को देर शाम जनप्रतिनिधियों संग एसडीएम सदर गुलाब चंद ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया है. गंगा नदी में बाढ़ के पानी के उफान ने अब रौद्र रूप धारण कर लिया है और जलस्तर खतरे के निशान से महज कुछ मीटर नीचे पहुंच चुका है. तेजी से बढ़ते पानी ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ा दी है. ग्रामीणों का कहना है कि पानी पहले से काफी तेजी से चढ़ रहा है और यदि यही स्थिति बनी रही तो आने वाले कुछ ही घंटों में कई घर जलमग्न हो सकते हैं. निरीक्षण के दौरान एसडीएम गुलाब चंद ने बाढ़ राहत चौकियों को सक्रिय करने, नावों की व्यवस्था करने और निचले इलाकों में सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक तैयारी की जा रही है. जनमानस की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है. गंगा का जलस्तर लगातार मॉनिटर किया जा रहा है. आवश्यकता पड़ी तो त्वरित राहत और बचाव कार्य शुरू किए जाएंगे. गौरतलब है कि ओझला पुल के पास गंगा का जलस्तर 76 मीटर से ऊपर पहुंच चुका है, जबकि चेतावनी स्तर 76.724 मीटर है.स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने नगर निगम और सिंचाई विभाग को अलर्ट पर रखा है.
अफवाहों से बचने की सलाह, सर्तक और सावधानी बरतने की हिदायत
जिला प्रशासन ने जनता से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी आपात स्थिति में संबंधित विभाग से तुरंत संपर्क करें. गंगा नदी के बढ़ाव पर प्रशासन निरंतर नजर डालें हुए हैं. मिर्जापुर स्थित केन्द्रीय जल आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में 02 अगस्त 2025 को सुबह समय-10:00 तक गंगा नदी का जल लेवल-77.120 मीटर आंका गया है. जबकि
गंगा नदी में 4.00 सेमी, घंटा की दर से वृद्धि कुल वृद्धि- पिछले 2 घंटे में 8 सेमी रहा है। चेतावनी स्तर-76.724 एम,खतरे का स्तर-77.724 मीटर बताया जा रहा है.गौरतलब हो कि पूर्व में उच्चतम दर्ज बाढ़ स्तर (09 सितंबर 1978) 80.34M तथा अधिकतम बाढ़ स्तर (17 सितंबर 2024) -76.530 मीटर आंका गया था.ऐसे में लगातार गंगा नदी में बाढ़ का प्रभाव बढ़ता देख आस-पास के गांवों के लोग दहशत में देखें जा रहें हैं। छानबे, सीटी, पहाड़ी विकास खंड सहित सीखड़ नारायनपुर विकास खंड क्षेत्र के दर्जनों गांव बाढ़ के प्रभाव से जूझ रहे हैं जहां निरंतर पानी बढ़ता जा रहा.
गंगा नदी में बाढ़ के चलते तटवर्तीय गांवों में उत्पन्न हुई बाढ़जनीत परेशानियां ने लोगों को पलायन पर मजबूर करना शुरू कर दिया है.बाढ़ का पानी गंगा नदी के तक को पार करते हुए निरंतर आगे की ओर बढ़ता जा रहा है. इससे कई इलाकों में खेत-खलिहान, बाग-बगीचे बाढ़ के पानी की चपेट में आ गए हैं. इससे जहां मवेशियों के समक्ष हरे चारे की गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है तो वहीं जन-जीवन भी अस्त-व्यस्त हो उठा है. लोग बाढ़ के पानी से बचने के लिए आस-पास के गांवों सहित अपने सगे-संबंधियों के यहां पनाह लेने को विवश हुए हैं.