राजनीतिक अशांति के बीच शेख हसीना के इस्तीफे के बाद, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का कहना है कि हसीना का भारत में रहने का फैसला उनका और भारत की सरकार का है. पार्टी के एक नेता ने यह भी कहा कि लेकिन बांग्लादेश के लोग इसे अच्छा नहीं मानेंगे. बीएनपी ने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में जनता की भावना अहम होगी.
शेख हसीना के इस्तीफे के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली है. उनकी सरकार बीते कुछ महीने से चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों को खत्म कर शांति कायम करने और कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए काम करेगी. अंतरिम सरकार को यह भी सुनिश्चित करना है कि देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार बंद हो और आने वाले समय में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव हो.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
बीएनपी के वरिष्ठ नेता अमीर खासरू महमूद चौधरी ने कहा कि शेख हसीना बांग्लादेश में “मोस्ट वांटेड” हैं, जिन पर भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के हनन सहित कई आरोप हैं. उन्होंने कहा कि हसीना को उनके कार्यकाल के दौरान किए गए कथित अपराधों – हत्याओं और जबरन गायब होने से लेकर अरबों डॉलर की हेराफेरी जैसे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार तक के मामलों के लिए न्याय का सामना करना होगा.
बीएनपी नेता ने कहा कि यह, “शेख हसीना और भारत सरकार का मसला है कि वह पड़ोसी देश में रह सकती हैं या नहीं.” उन्होंने कहा, “फिर भी, बांग्लादेश के लोगों का मानना है कि भारत को उनकी भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि आखिर में दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध दो लोगों के बीच संबंधों पर निर्भर करते हैं, न कि किसी देश और किसी व्यक्ति या क्षेत्र के बीच.” हसीना की विरोधी पार्टी के नेता ने कहा, “बांग्लादेश में लोग इसे (हसीना के भारत में रहने को) अच्छी नजर से नहीं देखेंगे.”
खालिदा जिया की पार्टी की पार्टी बीएनपी ने पहले चुनावों का बहिष्कार किया था, जहां पार्टी का आरोप था कि शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश के चुनाव निष्पक्ष नहीं होते हैं. उन्होंने अंतरिम सरकार से उम्मीदजताई की वे हसीना के कार्यकाल के निरंकुश शासन के खात्मे के बाद देश में लोकतंत्र बहाल करेगी और चुनावी प्रक्रिया में तेजी लाएगी.