‘आपको कैसे पता चीन ने जमीन हड़प ली, आप सच्चे भारतीय होते तो…’, राहुल गांधी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ कथित टिप्पणी के मामले में अपने खिलाफ मानहानि को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सोमवार को राहुल गांधी को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2000 किलोमीटर तक भारत की जमीन हड़प ली है? अगर आप सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते.

राहुल गांधी से कोर्ट के तीखे सवाल

सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने राहुल गांधी की तरफ से दिए गए बयानों पर असहमति जताई. राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शुरुआत में दलील दी कि अगर कोई विपक्षी नेता मुद्दे नहीं उठा सकता, तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी.

अदालत में सिंघवी ने कहा कि अगर वह प्रेस में छपी ये बातें नहीं कह सकते, तो वह विपक्ष के नेता नहीं हो सकते. इस पर जस्टिस दत्ता ने पूछा, ‘आपको जो कुछ भी कहना है, संसद में क्यों नहीं कहते? आपको सोशल मीडिया पोस्ट में यह क्यों कहना है?’ राहुल गांधी के बयान पर असहमति जताते हुए जस्टिस दत्ता ने पूछा, ‘आप बिना किसी सबूत के ये बयान क्यों दे रहे हैं. अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो आप यह सब नहीं कहते.’

भारत जोड़ो यात्रा में दिया था बयान

अपनी 2023 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, कांग्रेस नेता राहुल ने दावा किया कि एक पूर्व सेना अधिकारी ने उन्हें बताया था कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है. उनके इस बयान को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया था और उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था.

राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि के मुकदमे को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, ‘आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2,000 किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है?’ और इस पर जोर देते हुए कहा, ‘अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो आप ऐसा नहीं कहते.’ कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके पास कोई विश्वसनीय जानकारी है? जब सीमा पार कोई विवाद होता है तो क्या आप ये सब कह सकते हैं? आप संसद में सवाल क्यों नहीं पूछते?

कोर्ट ने राहुल गांधी को फटकार लगाते हुए कहा कि आप विपक्ष के नेता हैं तो आप ये बातें क्यों कहेंगे? आप ये सवाल संसद में क्यों नहीं पूछते? इसके जवाब में राहुल की तरफ से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्होंने संसद में बोलने की छूट पाने के लिए चुनाव नहीं लड़ा. अनुच्छेद 19(1)(ए) राहुल गांधी को सवाल पूछने की इजाजत देता है.

सुप्रीम कोर्ट में सिंघवी ने यह स्वीकार करते हुए कि याचिकाकर्ता अपना बयान बेहतर तरीके से पेश कर सकते थे, कहा कि शिकायत सिर्फ सवाल उठाने के लिए उन्हें परेशान करने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है, जो एक विपक्षी नेता का कर्तव्य है. उन्होंने यह भी बताया इस मामले में नियमों का पालन नहीं किया गया है. हालांकि, जस्टिस दत्ता ने बताया कि यह मुद्दा हाई कोर्ट के सामने नहीं उठाया गया था. सिंघवी ने माना कि इस पॉइंट को उठाने में चूक हुई. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में चुनौती मुख्य रूप से शिकायतकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर केंद्रित थी.

सिंघवी ने राहुल की तरफ से कहा कि उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की कोई जरूरत नहीं है. मामले में संज्ञान लिए जाने से पहले उन्हें कोई प्राकृतिक न्याय नहीं दिया गया है. सिंघवी ने कहा कि वह उस भावना को समझते हैं जिसके तहत इस बेंच ने सवाल पूछे हैं. लेकिन इस बात पर आम सहमति है कि यहां कोई प्राकृतिक न्याय या सुनवाई नहीं हुई है.

SC ने कार्यवाही पर लगाई रोक

सिंघवी ने हाई कोर्ट के इस तर्क पर सवाल उठाया कि शिकायतकर्ता, अगर ‘पीड़ित व्यक्ति’ नहीं है, फिर भी ‘अपमानित व्यक्ति’ है. बेंच इस पॉइंट पर विचार करने के लिए सहमत हो गई और इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया गया था.

राहुल गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल राहुल गांधी को राहत देते हुए निचली अदालत में मानहानि मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी और सुनवाई के लिए 3 हफ्ते के बाद का वक्त तय किया है.

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