बिलासपुर के अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरतने का आरोप है। यहां शैक्षणिक पदों पर भर्ती से लेकर बिना टेंडर गार्डन, तालाब के सौंदर्यीकरण और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी को लाखों रुपए अग्रिम भुगतान कर दिया गया है। अब इस मामले की जांच के लिए उच्च शिक्षा आयुक्त ने पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है।
दरअसल, यूनिवर्सिटी में बगैर टेंडर के ही लाखों रुपए का काम कराया गया है। जिसमें गार्डन का रिनोवेशन और तालाब सौंदर्यीकरण जैसे काम शामिल हैं। यहीं नहीं यूनिवर्सिटी में शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति के लिए आरक्षण रोस्टर में छेड़छाड़ कर अपने चहेतों की नियुक्ति करने का भी आरोप है।
इसी तरह कुलपति के निज सहायक उपेन चंद्राकर को फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नियुक्ति देने के भी आरोप लगाए गए हैं। बताया गया है कि, उसके ऑफिस मैनेजमेंट का सर्टिफिकेट गैर मान्यता प्राप्त संस्थान से है। जिसे मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ने भी फर्जी करार दिया है। ऐसे ही यूजीसी के नियमों को दरकिनार कर अधिक उम्र की महिला को लाइब्रेरियन बनाया गया है।
नियमों को दरकिनार कर दैनिक वेतनभोगी को किया अग्रिम भुगतान
यूनिवर्सिटी के छात्र रहे सूरज राजपूत ने बताया कि, नियमों को दरकिनार कर दैनिक वेतनभोगी मनीष सक्सेना को लाखों रुपए का अग्रिम भुगतान करने के साथ विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों में भोजन व्यवस्था का काम दिया जाता है, जिसमें कमीशनखोरी करने का भी आरोप है।
उच्च शिक्षा विभाग ने जांच के लिए बनाई कमेटी
यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं की शिकायत के बाद उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त ने गड़बड़ियों की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है। जांच कमेटी को अनियमितता, शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक पदों की भर्ती प्रक्रियाओं में की गई गड़बड़ियों, प्रशासनिक एवं वित्तीय अनियमिताओं, नियम विरुद्ध दिए गए टेंडर की जांच कर दस्तावेजों के साथ रिपोर्ट पेश करने कहा गया है।
माना जा रहा है कि कमेटी जल्द ही यूनिवर्सिटी की इन गड़बड़ियों की जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी