बाढ़ से हाहाकार के बीच, न बैंड न बाजा नाव पर निकली बारात, गंगा की लहरों ने मंगल गीत गाया तो इंद्र देव ने बरसाया फूल

 

बलिया : जहां एक तरफ बाढ़ से हाहाकर मचा हैं वही दूसरी तरफ इसी हाहाकर के बीच से एक अनोखी तस्वीर सामने आई है.जिले में गंगा की बाढ़ और पानी का तांडव चरम पर है। इस तस्वीर को देख आप कहेंगे भले ही बैंड-बाजा नही तो क्या बारातियों के लिए मां गंगा की लहरें मानो मंगल गीत गा रही है। दरअसल बलिया में लाल के डेरा से बलिया के बयासी गांव तक बारात नाव से पहुंची सड़कें जलमग्न थी, चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दे रहा था.

 

 

लेकिन शादी तय थी और रद्द करना नामुमकिन था.दूल्हा-दुल्हन के परिवारों ने बाढ़ जैसी बड़ी प्राकृतिक आपदा के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी और बारिश में ही बारात निकल गई. सोशल मीडिया पर वायरल यह वीडियो लोगों का दिल जीत रहा है.

 

 



बाढ़ के तांडव से हर तरफ लोग परेशान है, इस बीच एक खुशी का माहौल भी देखने को मिला है.नीचे बाढ़ का पानी और ऊपर आसमान से मानो इंद्रदेव इन बारातियों पर फूल बरसा रहे हो जो बारिश के रूप में दिखी.वही बचाव के लिए दूल्हे के टोपी में पॉलिथीन लगाया गया था, क्योंकि टोपी दूल्हे के सर का ताज यानी सेहरा होता है. ना डीजे, ना बैंड-बाजा, लेकिन नाविकों की ताल और गंगा की लहरों की थपकियों ने माहौल को संगीतमय बना दिया. यह शादी खुशी और साहस की मिसाल बन गई। बाढ़ के बीच ऐसी अनोखी बारात शायद ही किसी ने देखा हो.

 



एक ओर तबाही का मंजर, दूसरी ओर बाढ़ की विभीषिका में विवाह करने जाते लोगों का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.नाव पर बैठे बाराती आपस में हंसी मजाक करते हुए नजर आ रहे है. दूल्हे के पिता कमलेश राम ने बताया कि उनके पुत्र का विवाह होने जा रहा है, यह बलिया जनपद के लाल के डेरा के रहने वाले है.उनका कहना है कि गरीब की स्थिति में कुछ भी संभव है.कमलेश ने कहा कि यह बारात बयासी जा रही है। इनके समधी का नाम वीरेंद्र राम है। जहां एक ओर तबाही का मंजर था, वहीं दूसरी ओर प्यार और परंपरा की जीत हो रही थी.

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