सागर: बीएमसी के डॉक्टर्स ने मौत की कगार पर पहुंची गर्भवती महिला की बचाई जान, पहली बार वेंटीलेटर पर पड़े मरीज का किया गया ऑपरेशन

सागर: कहते हैं डॉक्टर इस पृथ्वी पर भगवान का रूप होते हैं, इस काहवत को बुंदेलखंड मेडीकल कॉलेज के गायनी विभाग के डॉक्टरों ने सही साबित कर दिया. यहां के डॉक्टरों ने अंतिम क्षण तक हार न मानने के अपने जज्बे से मरणाशन हो चुकी एक महिला मरीज को नवजीवन प्रदान किया. दरअसल, बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के गायनी विभाग में एक गर्भवती महिला को लाया गया, जिसके पेट में बच्चा मर चुका था. महिला की नब्ज मिल नहीं रही थी. ब्लड प्रेशर मशीन में दिख नहीं रहा था. तभी डॉक्टर ने एक अंतिम प्रयास सीपीआर (कृत्रिम सांस) दिया, महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ाने की दवा दी गई. महिला को तत्काल वेंटीलेटर पर रखा गया.

फिर चमत्कार हुआ, महिला के ब्लड प्रेशर के साथ नब्ज में हरकत दिखी तो डॉक्टरों की उम्मीद जाग गई. महिला की निगरानी बढ़ाई तो सांस चलना शुरू हुईं, लेकिन अभी भी महिला होश में नहीं आई थी. पेट में मरा हुआ बच्चा गंभीर इंफेक्शन पैदा कर सकता था. डॉक्टरों की चिंता उसे पेट से बाहर निकालने की थी, लेकिन वेंटीलेटर पर रखी महिला के ऑपरेशन कैसे किया जाए, क्योंकि बीएमसी में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था. मरणाशन से वापस आई महिला के मौत के चांस 90 प्रतिशत थे.

स्त्री रोग विशेषज्ञ, एनेस्थीसिया डॉक्टर्स की टीम ने अभिभावकों को स्थिति से अवगत कराया. वेंटीलेटर सहित महिला को ऑपरेशन थियेटर ले गए. बीएमसी में पहली बार वेंटीलेटर पर पड़े मरीज का ऑपरेशन किया गया और महिला के पेट से मृत बच्चा निकाला गया. चार दिन की गहन निगरानी के बाद डॉक्टर्स की मेहनत रंग लाई और बुधवार को महिला होश में आ गई. परिजनों ने राहत की सांस ली कि आखिर महिला की जान बच गई. अब परिजन बीएमसी के डॉक्टर्स का आभार मानते हुए नहीं थक रहे हैं.

डीन ने की डॉक्टर्स के कार्य की तारीफ

राहतगढ़ से आई महिला बीएमसी के मीडिया प्रभारी डॉ. विशाल भदकारिया ने बताया कि राहतगढ़ निवासी मरीज शिफा कुरैशी पत्नी हसीन कुरैशी को मिर्गी के झटके के साथ परिजन लेकर आए थे. डॉ. वर्षा और डॉ. अभय ने उसे अटेंड किया था. सीपीसीआर इन डॉक्टर्स ने दिया. जटिल ऑपरेशन डॉ. शीला जैन, डॉ. प्रियंका पटेल ने किया. एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. सर्वेश जैन, डॉ. मोहम्मद इलियास और डॉ. अजय का योगदान रहा. बीएमसी डीन डॉ. पीएस ठाकुर, अधीक्षक डॉ. राजेश जैन ने कहा कि गायनी विभाग में हर दिन औसत 40 मरीज आ रहे हैं. स्टाफ की कमी तो है लेकिन निर्देश दिए गए हैं कि प्रत्येक मरीज पर डॉक्टर्स व स्टाफ देखरेख व इलाज में मेहनत करे. अभी गायनी में 7 स्त्रीरोग विशेषज्ञ, 8 पीजी व नर्सिंग स्टाफ तैनात है, जो मरीजों की संख्या के हिसाब से कम है, जिसे पूरा करना के प्रयास किए जा रहे हैं. गर्भवती महिला की जान बचाने वाले डॉक्टर्स की टीम ने अच्छा कार्य किया.

बुंदेलखंड मेडिकल कालेज सागर के स्त्री रोग विभाग में राहतगढ़ निवासी गर्भवती महिला को मरणासन्न अवस्था में लाया गया, जहां पर एनेस्थीसिया विभाग की डाक्टर वर्षा और डा अभय द्धारा सीपीसीआर कर रिवाइव किया और वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया. गर्भस्थ शिशु की मौत पहले ही हो चुकी थी, ऐसे में वेंटिलेटर पर रखते हुए ही डा शीला जैन एसोसिएट प्रोफेसर स्त्री रोग विभाग और डा प्रियंका पटेल अस्सिटेंट प्रोफेसर स्त्री रोग विभाग सिजेरियन ऑपरेशन कर मृत बच्चे को बाहर निकाला. आपरेशन में और वेंटिलेटर पर देखभाल स्त्री रोग विभाग की डा शीला जैन, डा प्रियंका पटेल और उनकी टीम एवं एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष डा सर्वेश जैन, डा मोहम्मद इलियास एसोसिएट प्रोफेसर, डा अजय सिंह अस्सिटेंट प्रोफेसर और उनकी टीम ने की.

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