मानसून के आने के बाद बंगाल का खाड़ी में जितनी भी मौसम प्रणालियां बनीं, लगभग सभी पूर्वी एवं उत्तरी मध्य प्रदेश में सक्रिय रहीं। इसके चलते विंध्य, बघेलखंड, महाकौशल एवं बुंदेलखंड में कई बार बाढ़ के कारण त्राहिमाम की स्थिति बन गई। इस दौरान मध्य क्षेत्र में भी औसत बारिश का लाभ मिला, लेकिन मालवा से मानसून अभी भी रूठा हुआ ही है।
हालात यह हैं कि सावन भी सूखा ही बीता जा रहा है। इंदौर, शाजापुर, उज्जैन आदि शहरों में सामान्य से 20 से 40 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है। उधर, गुरुवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक सीधी में नौ मिलीमीटर बारिश हुई। सबसे अधिक 35.6 डिग्री सेल्सियस तापमान खजुराहो में दर्ज किया गया।
यहां कई बार हुई अति भारी बारिश
मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक, वर्तमान में मानसून द्रोणिका फिरोजपुर, चंडीगढ़ से हिमालय की तलहटी के पास से गुजरती व अरुणाचल प्रदेश तक गई है।
मौसम विशेषज्ञ अजय शुक्ला ने बताया कि मानसून सक्रिय होने के बाद से जितनी भी मौसम प्रणालियां बनीं, लगभग सभी पूर्वी मध्य प्रदेश से उत्तरी मध्य प्रदेश तक सक्रिय रहीं।
विंध्य, बघेलखंड, महाकौशल, बुंदेलखंड और चंबल क्षेत्र में कई बार अतिवृष्टि हुई। इससे वहां कई बार बाढ़ के हालात बने। इसके अलावा मध्यम स्तर की वर्षा का लाभ मध्य क्षेत्र को भी मिला, लेकिन मालवांचल, निमाड़ क्षेत्र में सिर्फ छिटपुट बारिश ही हुई है। इस वजह से इस क्षेत्र के कई जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है।