उत्तर प्रदेश की लखनऊ पुलिस ने दिल्ली से दो लोगों को कथित तौर पर एक फर्जी कॉल सेंटर चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है, जो बैंक कर्मी बनकर लोगों को क्रेडिट कार्ड रिन्यूवल स्कैम में फंसाकर ठगी करते थे. अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस गिरोह पर पिछले एक साल में 50 लाख रुपये से ज्यादा की साइबर धोखाधड़ी करने का संदेह है.
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) निपुण अग्रवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बताया कि स्थानीय निवासी जितेंद्र कुमार ने जून में सरोजिनी नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने बताया कि उन्हें एक व्यक्ति का फोन आया जिसने खुद को बैंक अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके क्रेडिट कार्ड की वैधता समाप्त होने वाली है और उसे रिन्यूवल की आवश्यकता है.
उन्होंने बताया कि इसके बाद जालसाजों ने उनके कार्ड तक पहुंच बनाई और 1.6 लाख रुपये निकाल लिए. अग्रवाल ने अतिरिक्त डीसीपी रल्लापल्ली वसंत कुमार के साथ बातचीत करते हुए कहा, ‘त्वरित कार्रवाई करते हुए, हमारी साइबर अपराध टीम और सरोजिनी नगर पुलिस ने दक्षिण दिल्ली के जैतपुर इलाके में संदिग्धों का पता लगाया और दो लोगों – 28 साल के विकास कुमार और 31 साल के राहुल लखेरा को गिरफ्तार किया.’
पुलिस ने बताया कि उन्होंने आरोपियों के पास से 25 मोबाइल फोन, लगभग दो दर्जन सिम कार्ड, एक लैपटॉप और अन्य डिजिटल उपकरण बरामद किए हैं. जांच से पता चला कि दोनों विकास कुमार के घर से काम करते थे, जो एक फर्जी कॉल सेंटर भी था. वहा कई महिलाएं काम करती थीं, जो अनजान पीड़ितों को फर्जी कॉल करती थीं. उन्हें 10,000 रुपये से 15,000 रुपये तक का मासिक वेतन दिया जाता था.
डीसीपी अग्रवाल ने बताया कि गिरोह बिहार के ‘दुबे जी’ नाम के एक साथी द्वारा उपलब्ध कराए गए निजी डेटा का इस्तेमाल करता था, जो संभावित पीड़ितों की क्रेडिट कार्ड की जानकारी 10 रुपये प्रति ग्राहक की दर से मुहैया कराता था. राहुल लखेरा पहले एक हत्या के मामले में फरीदाबाद जेल में सजा काट चुका है. उन्होंने बताया कि वहीं उसकी मुलाकात नवाब खान उर्फ रहमान नाम के एक साइबर ठगी के मास्टरमाइंड से हुई.
पुलिस के अनुसार, नवाब खान राहुल को APK फ़ाइलें, यानी मोबाइल ऐप्स मुहैया कराता था, जिन्हें पीड़ित के फोन में इंस्टॉल करने पर धोखेबाजो को रिमोट एक्सेस मिल जाता था. ये ऐप्स क्रेडिट कार्ड नवीनीकरण या केवाईसी अपडेट की सुविधा के बहाने भेजे जाते थे.
एक्सेस मिलने के बाद, गिरोह तुरंत ऑनलाइन खरीदारी करने के लिए इस जानकारी का इस्तेमाल करता था. जितेंद्र कुमार के मामले में, उन्होंने फ्लिपकार्ट से दो आईफ़ोन ऑर्डर किए और उन्हें फरीदाबाद में एक बेतरतीब पते पर पहुंचा दिया. पहचान छिपाने के लिए वे सीधे इमारत के बाहर डिलीवरी एजेंटों से सामान लेते थे.
लखनऊ पुलिस ने बताया कि अब वे नवाब खान और ‘दुबे जी’ की तलाश में हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे इस बड़े नेटवर्क का प्रमुख सदस्य है. यह गिरोह एक साल से ज्यादा समय से सक्रिय था और विभिन्न राज्यों में दर्जनों पीड़ितों के साथ धोखाधड़ी करने का संदेह है. डीसीपी अग्रवाल ने कहा कि गिरोह के वित्तीय लेन-देन का पता लगाने और उनके आपराधिक इतिहास का पता लगाने के लिए आगे की जांच जारी है. अधिकारी उन अन्य पीड़ितों की पहचान करने और उनकी सहायता करने के लिए भी काम कर रहे हैं, जिन्हें इसी तरह के तरीकों का इस्तेमाल करके निशाना बनाया गया हो सकता है.