कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने तर्क दिया है कि भारत का चुनाव आयोग कोई अदालत नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक निकाय है और याचिकाओं या शिकायतों पर विचार करते वक्त अदालत की तरह व्यवहार नहीं कर सकता.
उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “चुनाव आयोग कोई अदालत नहीं है और याचिकाओं/शिकायतों पर विचार करते वक्त कोर्ट की तरह रवैया नहीं अपना सकता है. चुनाव आयोग एक प्रशासनिक निकाय है, जिसकी ज़िम्मेदारी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाना है.”
निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 20(3)(बी) के बारे में बात करते हुए पी चिदंबरम ने कहा कि यह सिर्फ ईआरओ द्वारा वोटर लिस्ट में शामिल किए जाने के ‘दावे’ को स्वीकार या अस्वीकार करने के फैसले के मामले में लागू होगा और पूरे विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में कथित बड़े पैमाने पर हेराफेरी के मामले में इसका कोई एप्लीकेशन नहीं होगा.
उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग का न सिर्फ राजनीतिक दलों के प्रति, बल्कि देश के मतदाताओं के प्रति भी कर्तव्य है.
चिदंबरम ने क्यों कही ऐसी बात?
चिदंबरम का यह सोशल मीडिया पोस्ट कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी से उनके इस आरोप के समर्थन में डॉक्यूमेंट पेश करने के लिए कहे जाने के बाद आया है कि पिछले साल के लोकसभा चुनावों में एक मतदाता ने दो बार वोट किया था.
पत्र में, सीईओ ने राहुल गांधी की हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया, जहां उन्होंने दावा किया था कि उनके प्रजेंटेशन में कुछ डॉक्यूमेंट ‘चुनाव आयोग के आंकड़े’ थे और आरोप लगाया था कि मतदाता शकुन रानी ने मतदान अधिकारी द्वारा दिए गए रिकॉर्ड के आधार पर दो बार मतदान किया था. चुनाव आयोग के अधिकारी ने राहुल गांधी के इस कथन का भी ज़िक्र है, “इस पहचान पत्र का इस्तेमाल दो बार वोट देने के लिए किया गया है, टिक के निशान पोलिंग बूथ अधिकारी ने लगाए थे.”
पत्र में राहुल गांधी के मुखातिब होते हुए कहा गया है, “आपसे गुजारिश है कि वे प्रासंगिक दस्तावेज़ उपलब्ध कराएं, जिनके आधार पर आपने यह नतीजा निकाला है कि शकुन रानी या किसी अन्य ने दो बार वोट किया है, जिससे जांच की जा सके.”
सोमवार को इंडिया ब्लॉक के सांसद वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कथित चुनावी गड़बड़ियों के विरोध में नई दिल्ली स्थित भारतीय चुनाव आयोग (ECI) मुख्यालय तक मार्च करेंगे.
सांसदों का नेतृत्व कांग्रेस नेता राहुल गांधी करेंगे, जिन्होंने चुनाव आयोग से डिजिटल वोटर लिस्ट जारी करने की मांग की है, जिससे लोग और दल उनका ऑडिट कर सकें.
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “वोट चोरी ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के मूल विचार पर हमला है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए एक साफ़ वोटर लिस्ट जरूरी है. चुनाव आयोग से हमारी मांग साफ है- पारदर्शी बनें और डिजिटल वोटर लिस्ट जारी करें, जिससे लोग और पार्टीज उनका ऑडिट कर सकें.”