तालाब में डूबने से 3 चचेरे भाइयों की मौत:भैंसों को पानी पिलाने ले गए थे; रक्षाबंधन पर जयपुर से गांव आया था एक भाई

टोंक में रविवार शाम भैंसों को तालाब पर पानी पिलाने गए 14 से 15 साल के तीन चचेरे भाइयों की पानी में डूबने से मौत हो गई। घटना जिले के झिराना थाना इलाके के सौंधीफल गांव (बैरवा की ढाणी) में शाम 6 बजे के करीब हुई। घटना के बाद गांव में मातम छा गया। तीन परिवारों में चीख-पुकार मच गई। एक बच्चे के पिता ने सभी को निकालने की कोशिश की लेकिन बचा नहीं पाया। वह खुद भी डूबने से बाल-बाल बचा।

झिराना थानाधिकारी हरिमन मीणा ने बताया- चौगाई ग्राम पंचायत के गांव सौंधीफल निवासी धर्मचंद और शंकरलाल बैरवा ने रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट में बताया है कि शंकरलाल का बेटा अंकेश (15), धर्मचंद का बेटा विकास उर्फ़ विशाल(14) और राजेश बैरवा का बेटा सुनील (15) रविवार शाम 6-7 भैंसों को पानी पिलाने के लिए घर से 500 मीटर दूर तालाब पर गए थे।

भैंसे तालाब से नहीं निकली तो अंकेश पानी में उतरा

इस दौरान भैंसे तालाब में चली गई। वह काफी देर तक जब भैंसें बाहर नहीं निकलीं तो अंकेश पानी में उतर गया। इस दौरान वह डूबने लगा। अंकेश को डूबता देख सुनील और विकास भी पानी में कूद गए। तैरना नहीं आने के कारण तीनों बच्चे पानी में गहरे चले गए।

इस दौरान उनके चिल्लाने की आवाज सुनकर पास में मौजूद सुनील के पिता राजेश बैरवा तालाब की तरफ दौड़े और तीनों बच्चों को बचाने के लिए पानी में छलांग लगा दी। लेकिन राजेश बच्चों को बचा नहीं पाए और खुद भी डूबने लगे। इसके बाद मशक्कत कर वे किनारे पर आए।

गांव में मातम, किसी घर में चूल्हे नहीं जले

राजेश ने गांव में जाकर बच्चों के डूबने की सूचना दी। इसके बाद परिजन दौड़े और बच्चों को तलाशने लगे। लोगों ने मिलकर तीनों को निकाला और पीपलू हॉस्पिटल ले गए। जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बच्चों की मौत से पूरे गांव में मातम है। रविवार को किसी भी घर में चूल्हे नहीं जले। परिजन का रो-रोकर बुरा हाल है। शवों को पीपलू हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी में रखवाया गया है। सोमवार को पोस्टमॉर्टम होगा।

सुनील और विकास राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बोरखंडी कलां (पीपलू, टोंक) में कक्षा 10 में पढ़ते थे। जबकि अंकेश परिवार के साथ जयपुर रहता था, वहीं पढ़ाई कर रहा था।

रक्षाबंधन पर जयपुर से गांव आया था अंकेश

अंकेश के पिता शंकरलाल जयपुर रहते हैं। दो बेटों, एक बेटी और पत्नी के साथ शंकरलाल रक्षाबंधन पर्व मनाने के लिए राखी से 2 दिन पहले ही गांव बैरवा की ढाणी आए थे। अंकेश जयपुर में ही पढ़ाई करता था। तीनों बच्चे गरीब परिवारों से हैं। समाज के लोगों ने सरकार से आर्थिक मदद की मांग की है।

तीनों बच्चे परिवार में बड़े बेटे थे

परिवार के सदस्य लैब टेक्नीशियन सीताराम बैरवा ने बताया-तीनों बच्चे अपने परिवारों में बड़े बेटे थे। अंकेश दो भाई और एक बहन में सबसे बड़ा था। विकास भी दो भाइयों में बडा था। इसी तरह सुनील भी दो भाइयों में बड़ा था।

बैरवा की ढाणी में 3 सगे भाइयों (हरबक्ष, हरनाथ और भूराराम बैरवा) के परिवारों से बसी है। तीनों बच्चे इन तीनों भाइयों के पड़पोते थे। अंकेश के दादा जगदीश और विकास के दादा बद्रीलाल सगे भाई थे। परदादा हरनाथ बैरवा थे। सुनील भूरालाल का पड़पोता था। ऐसे में पूरे गांव में मातम का माहौल है। किसी भी घर में आज चूल्हा नहीं जला है।

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