मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर में सोमवार तड़के शहीद खुदीराम बोस के 118वें शहादत दिवस पर सेंट्रल जेल परिसर देशभक्ति की भावना से गूंज उठा. पूरा परिसर रंगीन बल्बों से सजाया गया था, हवा में हुमाद की भीनी खुशबू फैली थी और बैकग्राउंड में वही गीत बज रहा था जिसे गाते हुए खुदीराम ने फांसी का फंदा चूमा था.
सुबह करीब 3 बजे से ही जेल गेट के बाहर लोगों की भीड़ जुटने लगी थी.हर कोई बेसब्री से गेट खुलने और अंदर प्रवेश मिलने का इंतजार कर रहा था. तय समय पर तिरहुत प्रक्षेत्र के कमिश्नर, मुजफ्फरपुर के डीएम सुब्रत कुमार सेन, एसएसपी सुशील कुमार, एसडीपीओ टाउन सुरेश कुमार, एसडीओ पूर्वी और मिठनपुरा थानाध्यक्ष समेत कई अधिकारी पहुंचे. प्रवेश से पहले सभी के हाथ पर मुहर लगाई गई और फिर उन्हें जेल के अंदर जाने की अनुमति दी गई.इस मौके को खास बनाने के लिए मेदिनीपुर से भी लोग पहुंचे थे. वे अपने साथ शहीद के गांव की मिट्टी, 101 राखियां और काली मंदिर का प्रसाद लेकर आए थे.फांसी स्थल पर मिट्टी में दो पौधे लगाए गए और प्रसाद अर्पित किया गया। यहीं पर 11 अगस्त 1908 को सुबह 3:50 बजे खुदीराम बोस को फांसी दी गई थी. ठीक उसी समय उपस्थित लोगों और अधिकारियों ने उन्हें सलामी दी और पुष्पांजलि अर्पित की.
सेंट्रल जेल के रिकॉर्ड के अनुसार, फांसी से पहले जब खुदीराम का गीत गूंजा, तो सभी बंदियों को आभास हो गया था कि उन्हें बलिदान के लिए ले जाया जा रहा है.इसके बाद पूरा परिसर “वंदे मातरम्” के नारों से गूंज उठा था. श्रद्धांजलि के बाद उपस्थित लोग उस ऐतिहासिक सेल में पहुंचे, जहां खुदीराम को रखा गया था.माना जाता है कि आज भी उनकी आत्मा उस सेल में वास करती है. श्रद्धा के भाव से लोग जूते-चप्पल बाहर उतारकर अंदर गए और वहां फूल अर्पित किए. इस अवसर पर वातावरण पूरी तरह देशभक्ति से ओत-प्रोत था, जिसने हर किसी को शहीद के बलिदान की याद दिला दी.