डिंडौरी। आदिवासी बहुल जिले में कुपोषण मिटाने के लिए आया 68 सौ टन से अधिक फोर्टीफाइड चावल कीड़े खाते रहे। 27 करोड़ रुपये मूल्य का यह चावल खाने योग्य नहीं रह गया है। जांच में इसकी पुष्टि हुई है। नईदुनिया में यह मामला प्रमुखता से उजागर होने के बाद गुणवत्ता नियंत्रक की टीम जांच करने डिंडौरी आई थी। टीम खराब चावल का सैंपल लेकर गई थी। अब जांच रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया है कि चावल खाने योग्य नहीं रह गया है।
वेयर हाउस संचालकों की लापरवाही
जांच रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर यह उल्लेख किया गया कि गोदामों में कोई तकनीकी कर्मचारी नहीं है। इसी के चलते रखरखाव नहीं हो पाया। इसमें वेयर हाउस संचालकों की लापरवाही सामने आई है। गौरतलब है कि लक्ष्मी अग्रवाल वेयर हाउस, खनूजा वेयर हाउस, मेकलसुता वेयर हाउस, मां नर्मदा वेयर हाउस के साथ सरकारी गोदाम निगवानी में 2023-24 का चावल सड़ गया।
खराब चावल की नीलामी की जाएगी
चावल की स्थिति यहां तक पहुंच गई कि यह जानवरों के खाने लायक भी नहीं बचा। अब विभागीय अधिकारी खराब हुए चावल की भरपाई कराने में जुट गए हैं। जिनकी लापरवाही से चावल खराब हुआ है, उनसे उतनी मात्रा में अच्छा चावल जमा करने के लिए पत्राचार शुरू किया जा रहा है। वहीं खराब चावल की नीलामी भी की जाएगी।
वेयर हाउस में नहीं मिला वेंटिलेशन
जांच रिपोर्ट में उल्लेख है कि वेयर हाउस में वेंटिलेशन नहीं था और चावल को दीवार से सटाकर अव्यवस्थित तौर पर रखा गया था। इस मामले में गुणवत्ता की जांच करने वाली एजेंसी को भी ब्लैक लिस्टेड करने का प्रस्ताव दिया गया है। महाप्रबंधक गुणवत्ता नियंत्रक मनोज कुमार वर्मा ने जिला प्रबंधक डिंडौरी को पत्र जारी कर जांच रिपोर्ट के आधार पर आगामी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।