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‘घर में घुसकर उठा लूंगा’ — सरपंच की धमकी से दहला पत्रकार

रीवा : जिले के एक छोटे से गाँव इटौरा में, जब एक पत्रकार  ने बेधड़क होकर गाँव के सरपंच भास्कर साहू के कारनामों को उजागर किया, तो उन्हें शायद इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि सच बोलने की इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.यह सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक सच्चाई और सत्ता के टकराव की कहानी है, जहाँ एक निडर पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर भी सच का झंडा बुलंद रखने को तैयार है.

 

 

यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब पत्रकार कवरेज के लिए इटौरा ग्राम पंचायत पहुँचे.वहाँ उन्होंने सरपंच भास्कर साहू को नशे की हालत में पाया, जो पंचायत के मुखिया के पद की गरिमा के बिल्कुल विपरीत था.एक जिम्मेदार पत्रकार होने के नाते इस घटना का वीडियो बनाया.यह वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया और सरपंच के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार का पर्दाफाश हो गया.

 

 

वीडियो वायरल होने के बाद, सरपंच भास्कर साहू ने अपना असली चेहरा दिखाया.उन्होंने पत्रकार को लगातार जान से मारने और गुमनाम कर देने की धमकियाँ देना शुरू कर दिया.फोन पर की गई बातचीत में सरपंच ने न केवल गंदी-गंदी गालियां दीं, बल्कि यहाँ तक कह डाला कि वह पत्रकार के घर पर धावा बोलेगा और उन्हें उठा ले जाएगा.यह सीधे तौर पर एक पत्रकार की आवाज को दबाने और उसकी स्वतंत्रता पर हमला करने का प्रयास था.

 

 

अपनी और अपने परिवार की जान को खतरे में देखते हुए, पत्रकार  ने रीवा के पुलिस अधीक्षक (SP) विवेक सिंह से मदद की गुहार लगाई.उन्होंने SP से अपील की है कि वे सरपंच के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें और उन्हें सुरक्षा मुहैया कराएं.

 

यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की सुरक्षा का सवाल नहीं है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि छोटे शहरों और कस्बों में पत्रकारिता कितनी खतरनाक होती जा रही है.ऐसे मामलों में जब एक पत्रकार सच बोलता है, तो उसे अक्सर स्थानीय बाहुबलियों और नेताओं के गुस्से का शिकार होना पड़ता है.

 

एक स्थानीय अखबार के सम्पादक चतुरेश द्विवेदी का कहना है कि वे इन धमकियों से डरने वाले नहीं हैं.उनका संकल्प है कि कोई भी खबर या वीडियो उनके पास आएगा, वे उसे जरूर प्रकाशित करेंगे.यह उनकी निडरता और पेशे के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है.यह देखना बाकी है कि पुलिस इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और क्या सच बोलने वाले को न्याय मिलता है.

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