पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होने के बावजूद निगम के पास मौजूद नहीं डेटा, डॉग बाइट के मामलों में बढ़ोतरी

राजधानी में पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होने के बावजूद नगर निगम के पास इसका कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। नियमों के अनुसार, कुत्ता पालने की जानकारी निगम को देना आवश्यक है, लेकिन न तो कुत्ता पालने वाले मालिक यह जानकारी दे रहे हैं और न ही निगम प्रशासन इस पर कड़ाई कर रहा है। मेकाहारा अस्पताल में प्रतिदिन करीब 20 डाग बाइट के मरीज पहुंच रहे हैं, जिनमें अधिकांश पालतू कुत्तों के काटने के शिकार होते हैं।

पिटबुल, राटवाइलर, जर्मन शेफर्ड आादि नस्ल के कुत्ते पालते हैं

पिछले वर्ष दो पालतू पिटबुल कुत्तों का डिलीवरी बॉ़य पर हमला करने का मामला सामने आया था। जिसमें FIR भी दर्ज हुई थी। कुत्तों पर काम करने वाले राजेश राठौर की माने तो राजधानी में कुत्ता प्रेमी पिटबुल, राटवाइलर, जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर रिट्रीवर, डोबरमैन पिंशर, हस्कीगोल्डन रिट्रीवर जैसे नस्ल के कुत्ते पालते हैं।

तीन साल में 51 हजार से अधिक डॉग बाइट के मामले

आवारा और पालतू कुत्तों के हमलों ने शहरवासियों और नगर निगम दोनों के लिए चिंता बढ़ा दी है। आंकड़ों के अनुसार, बीते तीन वर्षों में मनुष्यों को कुत्तों के काटने के 51,730 मामले सामने आए। इनमें वर्ष 2022-23 में 13,042, 2023-24 में 24,928 और 2024-25 (जनवरी तक) में 13,760 मामले दर्ज हुए। इसी अवधि में जानवरों को काटने के 2,803 मामले सामने आए।

नसबंदी और टीकाकरण अभियान

नगर निगम के मुताबिक, शहर में प्रतिदिन 400 से 450 आवारा कुत्तों की नसबंदी और रेबीज रोधी टीकाकरण किया जाता है। नसबंदी के बाद कुत्तों को तीन दिन तक डाग शेल्टर में रखकर उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। इस कार्यक्रम पर निगम हर साल लगभग 15 लाख रुपये खर्च करता है।

बिजनेस हब और रिहायशी इलाकों में खतरा

रिहायशी इलाकों, बाजारों और स्कूल-कालेज के आसपास डाग बाइट के मामले आम हो चुके हैं। इसके बावजूद एफआइआर दर्ज होना दुर्लभ है। हाल के वर्षों में केवल एक मामला अनुपम नगर के पिटबुल हमले पर कार्रवाई हुई। 13 जुलाई 2024 को डिलीवरी बाय पर दो पिटबुल ने हमला किया था, जिसके बाद मालिक अक्षय राव को धारा 291 बीएनएस के तहत गिरफ्तार किया गया था।

पशुप्रेमियों और निगम के बीच टकराव

निगम का कहना है कि नसबंदी और पकड़ने के अभियान में कुछ पशुप्रेमी अड़ंगा डालते हैं, जिससे काम की रफ्तार प्रभावित होती है। इसके बावजूद निगम प्रतिदिन अभियान जारी रखे हुए है। कुछ महीने पहले की बात करें तो रविशंकर शुक्ल युनिवर्सिटी के पास एक कुत्ते के भौंकने पर एक व्यक्ति ने कुत्ते को मार दिया था, तो कुत्ता प्रेमी उसके विरोध में थाना पहुंच गए थे।

रजिस्ट्रेशन नियमों का उल्लंघन

नगर निगम के नियमों के मुताबिक, कुत्ता पालने के लिए मालिकों को अनुमति लेना जरूरी है, लेकिन अधिकांश लोग बिना रजिस्ट्रेशन के ही कुत्ते पाल रहे हैं। इनमें देशी के साथ-साथ विदेशी नस्लें भी शामिल हैं।

डाग शेल्टर और इलाज की सुविधा

नगर निगम की ओर से सोंनडोंगर में डाग शेल्टर का निर्माण कराया गया है। यहां बिल्डिंग बनकर तैयार है। मशीनरी कार्य बचा होने की वजह से अब तक शुरू नहीं हो सका है। यहां 168 कुत्तों को एक साथ रखा जा सकता है। साथ ही दो आपरेशन थिऐटर भी बने हैं। स्वास्थ्य विभाग नगर निगम रायपुर अध्यक्ष गायत्री चंद्राकर ने बताया कि कुत्तों को पकड़ने व उनके बधियाकरण का काम नियम से किया जा रहा है। कुत्तों के बधियाकरण के तीन दिन बाद उन्हें उनकी ही जगह पर छोड़ दिया जाता है।

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