8 साल में सबसे कम… जुलाई में खुदरा महंगाई दर सिर्फ 1.55% रही, जानिए क्या-क्या चीजें हुईं सस्ती

आम जनता के लिए सबसे बड़ी खबर आई है. खुदरा महंगाई में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है, यह 8 साल के न‍िचले स्‍तर पर चला गया है. जुलाई के दौरान महंगाई दर घटकर 1.55 फीसदी पर आ चुकी है. जबकि जून 2025 में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate, CPI आधारित) 2.1% रही थी. वहीं मई 2025 में खुदरा महंगाई दर 2.82% दर्ज की गई थी.

जुलाई के दौरान रिटेल महंगाई 1.55 फीसदी, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के महंगाई दर की सीमा के काफी नीचे है. महंगाई में इतनी बड़ी गिरावट आम जनता और देश की इकोनॉमी दोनों के लिए अच्‍छी खबर है. गौरतलब है कि खुदरा महंगाई दर में गिरावट तब आती है, जब‍ फूड प्रोडक्‍ट्स- आलू, प्‍याज, हरी सब्जियां, चावल, आटा और दाल आदि में कमी आती है. जुलाई के दौरान इन चीजों के दाम कम हुए हैं.

फूड इन्‍फेलेशन में और भी ज्‍यादा गिरावट देखी गई है, जो पिछले महीने की तुलना में जुलाई में घटकर -176 फीसदी रह गई. जो जनवरी 2019 के बाद सबसे कम है. ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में फूड कीमतों में गिरावट देखी गई है. रूलर फूड इन्‍फ्लेशन -174 फीसदी और शहरी -1.90 फीसदी रही.

ये चीजें हुईं सस्‍ती
पूरे महंगाई दर में गिरावट का मुख्य कारण दालों, सब्जि‍यों, अनाज, परिवहन और संचार, शिक्षा, अंडे, चीनी और मिठाइयों जैसी कैटेगरी की चीजों की कीमत में गिरावट आना है.

रूलर इन्फ्लेशन जून के 1.72 फीसदी से घटकर जुलाई में 1.18 फीसदी हो गई, जबकि शहरी महंगाई 2.56 फीसदी से घटकर 2.05 फीसदी हो गई. ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में फूड इन्‍फ्लेशनप में भी तेजी से गिरावट आई. अन्‍य कैटेगरी में मिलाजुला असर दिखाई दिया. हाउस में महंगाई करीब 3.17% पर स्थिर रही, शिक्षा में महंगाई घटकर 4 फीसदी हो गई और हेल्‍थ सेक्‍टर में महंगाई 4.57% हो गई. परिवहन और संचार की महंगाई दर में बड़ी गिरावट आई और यह 2.12 फीसदी हो गई, जबकि ईंधन और इलेक्ट्रिकसिटी में महंगाई मामूली तौर पर बढ़ी.

खुदरा महंगाई दर क्या है?
खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) एक आर्थिक संकेतक है, जो उपभोक्ता स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में औसत बढ़ोतरी को मापता है. भारत में यह आमतौर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index – CPI) के आधार पर गणना की जाती है. CPI मुख्य तौर पर वस्तुओं और सेवाओं, जैसे खाद्य पदार्थ, ईंधन, कपड़े, आवास, स्वास्थ्य और परिवहन की कीमतों में बदलाव को ट्रैक करता है, जो सामान्य उपभोक्ता के दैनिक जीवन के लिए आवश्यक हैं. भारत में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) CPI डेटा जारी करता है.

खुदरा महंगाई का आम आदमी पर असर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) महंगाई को काबू में करने के लिए रेपो रेट जैसे उपायों का उपयोग करता है. RBI का लक्ष्य खुदरा महंगाई को 4% (+/- 2%) के दायरे में रखना है. महंगाई बढ़ने से आम लोगों की क्रय शक्ति प्रभावित होती है. महंगाई दर निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रिटर्न की वास्तविक वैल्यू को प्रभावित करती है.

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