उत्तर प्रदेश के कानपुर के मशहूर वकील अखिलेश दुबे को गिरफ्तार कर लिया गया था. अब उसका वह चेहरा सामने आ गया है, जो पुलिस और अपराधियों के करीबी गठजोड़ को उजागर करता है. आरोप है कि उसने 12 सालों तक कानपुर में ‘राज’ किया. अखिलेश दुबे ने इन 12 सालों में अपनी पुलिस से नजदीकियों और दबदबे का इस्तेमाल कर शहर में कई गैरकानूनी कामों को अंजाम दिया.
उस पर लोगों की जमीन पर कब्जा करने, महिलाओं के जरिए ब्लैकमेलिंग, फर्जी मुकदमे दर्ज करवाना और उससे करोड़ों की वसूली करने, वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जा करने जैसे कई आरोप लगे हैं. यहां तक की पुलिस की पोस्टिंग-जॉइनिंग से लेकर प्रमोशन तक के लिए बड़े-बड़े अफसर इसके दरबार में हाजिरी लगाने आते थे. अखिलेश दुबे के साकेत नगर स्थित दरबार में सुबह से शाम तक कानपुर और आसपास जिलों के पुलिस अधिकारी से लेकर नेता तक आते-जाते थे. यानी शहर के बड़े-बड़े मामले इसी के ऑफिस में सेट होते थे.
पुलिसकर्मी और अफसर लगाते थे हाजिरी
2002 से 2005 के बीच अखिलेश दुबे कानपुर का पुलिस कप्तान भी रह चुका था. उसकी पहुंच इतनी थी कि कमिश्नरेट पुलिसिंग लागू होने तक उसका प्रभाव जारी रहा. कई पुलिसकर्मी और अफसर उसके दरबार में हाजिरी लगाते थे. ऐसे में शहर के कई बड़े कारोबारी भी उससे दहशत में रहते थे. हाल ही में भाजपा नेता की शिकायत पर अखिलेश दुबे को गिरफ्तार किया गया.
जांच के लिए एसआईटी का गठन किया
गिरफ्तारी के बाद 5 दिन में 5 अलग-अलग लोगों ने उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए. इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया. कानपुर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार बिना किसी दबाव एसआईटी को जल्द से जल्द जांच करने के आदेश दे चुके हैं. एसआईटी सदस्य और पुलिस अधिकारी अंजलि विश्वकर्मा ने बताया कि अखिलेश के करीबी पुलिसकर्मियों पर भी निगरानी रखी जा रही है और दोषी पाए जाने पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा.
इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि अखिलेश दुबे के करीबी फरार हैं और उनके फोन स्विच ऑफ हैं. बताया जा रहा है कि अखिलेश दुबे की गिरफ्तारी के बाद भी उसके गुर्गे एक्टिव हैं. भाजपा नेता रवि सतीजा ने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस से सुरक्षा की मांग की है. कानपुर पुलिस का मानना है कि अखिलेश दुबे पर कार्रवाई के बाद लोगों की दहशत कम हुई है और अब पीड़ित आगे आकर शिकायत कर रहे हैं.