पटना: महाराष्ट्र मंडल में इस बार भव्य रूप से गणपति उत्सव मनाया जाएगा, जो 55 वर्षों से लगातार आयोजित हो रहा है. इसकी शुरुआत 1971 में छोटे स्तर पर हुई थी, लेकिन 2011 से यह आयोजन बहुत बड़े स्तर पर होने लगा.आज यह उत्सव मराठी समाज की तीसरी पीढ़ी द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस वर्ष गणपति उत्सव की थीम “ऑपरेशन सिंदूर” रखी गई है. यह उत्सव 27 अगस्त से 2 सितंबर तक चलेगा, जिसकी तैयारियां पिछले 25 दिनों से जोरों पर हैं.
भगवान गणेश की 6 फीट ऊंची मूर्ति मुंबई से सड़क मार्ग से लाई जा रही है. यह मूर्ति मुंबई के लालबाग के राजा गणेश की प्रतिकृति है. गणेशजी को हीरे जड़ित सोने का 35 लाख रुपये मूल्य का मुकुट पहनाया जाएगा, जिसमें माथे के बीच छह कैरेट का हीरा मुख्य आकर्षण होगा. उनके शृंगार के लिए सोने, चांदी और स्टोन के गहनों का उपयोग किया जाएगा. पंडाल बनाने के लिए मुंबई से 16 कलाकारों की टीम महाराष्ट्र मंडल में पहुंच रही है. सचिव संजय भोसले ने बताया कि सात दिनों तक विविध धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. मूर्ति का निर्माण बांद्रा के मशहूर मूर्तिकार दीपक घोटनकर शाडू मिट्टी से कर रहे हैं.
उत्सव के दौरान कई खास कार्यक्रम होंगे 27 अगस्त को सुबह 9 बजे पूजा आरंभ होगी और 11 बजे 11 देवी-देवताओं की समूह आरती की जाएगी। इसके बाद प्रसाद वितरण होगा. पंडाल में आने वाले अतिथियों को पगड़ी पहनाने के लिए महाराष्ट्र से विशेषज्ञ मचिंद्र कुनसे आएंगे. पूजा के लिए महाराष्ट्र से पुजारी प्रशांत जागीरदार और पांच पंडित भी मौजूद रहेंगे.29 अगस्त को शाम 7:30 बजे हल्दी-कुमकुम का कार्यक्रम होगा, जिसमें महिलाएं एक-दूसरे को हल्दी-कुमकुम लगाकर अखंड सौभाग्य की कामना करेंगी। 31 अगस्त को सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा जिसमें महाराष्ट्र के भजन कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे.इस कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल को भी आमंत्रित किया गया है. उत्सव के अंतिम दिन 2 सितंबर को दोपहर भगवान गणेश को भोग लगाकर महाप्रसाद का वितरण किया जाएगा.इस प्रकार महाराष्ट्र मंडल में इस बार का गणपति उत्सव धार्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ भव्य रूप से मनाया जाएगा.