घरों की बंपर सेल के पीछे क्या है खेल, क्या आने वाले दिनों में और बढ़ने वाले हैं रेट?

अगर कोई आपसे कहे कि घर खरीदने का ये बिल्कुल सही समय है तो शायद आप उसकी बात पर पूरी तरह यकीन न करें. लेकिन, जिस तरह से रियल एस्टेट मार्केट में घरों की सेल बढ़ी हुई है, उसको देखकर लगता है कि भले ही महंगाई और बढ़ी हुई ब्याज दरें लोगों की जेब पर भारी पड़ रही हों, फिर भी लोगों का घर खरीदने का जुनून कम नहीं हो रहा है. लेकिन सवाल यह उठता है कि ऐसा क्यों हो रहा है?

एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक इस साल की पहली छमाही (जनवरी-जून) में भारत के आठ प्रमुख शहरों में घरों की बिक्री ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है. सबसे ज्यादा बढ़ोतरी  दिल्ली -एनसीआर में हुई है. कई और रिपोर्ट्स भी ये कह रही हैं. हालांकि, बेचे गए घरों की संख्या पिछले साल की तुलना में थोड़ी कम रही हैं, लेकिन उनकी कुल बिक्री का मूल्य 9% बढ़कर ₹3.6 लाख करोड़ तक पहुंच गया है. यह साफ संकेत देता है कि इस दौरान लोगों ने महंगे और बड़े घरों को ज्यादा पसंद किया है.

 महंगी प्रॉपर्टीज की मांग ज्यादा

क्रेडाई (CREDAI) सीआरई मैट्रिक्स (CRE Matrix) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि घरों की संख्या भले ही कम बिकी हो, लेकिन उनकी औसत कीमत बढ़ गई है. इसका मतलब यह है कि लोगों का ध्यान अब छोटी और सस्ती प्रॉपर्टीज के बजाय बड़े और प्रीमियम घरों की ओर जा रहा है.

आठ प्रमुख शहरों में घरों का एवरेज वैल्यू 14% बढ़कर ₹1.42 करोड़ हो गया है, जो पिछले साल ₹1.24 करोड़ था. इस बढ़ोतरी में दिल्ली-एनसीआर सबसे आगे रहा, जहां महंगे घरों की मांग में सबसे अधिक उछाल देखा गया. मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे चार बड़े शहरों में औसत टिकट साइज़ ₹1 करोड़ से ऊपर है, जबकि पुणे, अहमदाबाद, कोलकाता और चेन्नई में यह अभी भी ₹1 करोड़ से कम है.

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रियल एस्टेट मार्केट का बदलता चेहरा
इस रिपोर्ट से यह बात साफ हो गई है कि भारतीय रियल एस्टेट बाजार का एक बड़ा हिस्सा अब प्रीमियम सेगमेंट से चल रहा है. पिछले कुछ सालों से यह देखने को मिल रहा है कि मिडिल या लोअर सेगमेंट की तुलना में अपर सेगमेंट के घरों की बिक्री कहीं ज्यादा हो रही है. क्रेडाई के अध्यक्ष शेखर पटेल ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि आठ शहरों का मार्केट शेयर पूरे देश के हाउसिंग मार्केट का सिर्फ 25% है, लेकिन इन आंकड़ों से यह साफ हो जाता है कि मंदी की जो बात हो रही थी, वह सही नहीं है. उनका मानना है कि बिक्री में कमी के बावजूद, घरों की कीमतों और साइज़ में बढ़ोतरी हुई है, जिससे कुल बिक्री का मूल्य बढ़ा है.

वहीं, सीआरई मैट्रिक्स के सीईओ अभिषेक किरण गुप्ता का कहना है कि यह भारत के हाउसिंग मार्केट के लिए एक रिकॉर्ड है. उनका मानना है कि देश में हाउसिंग की मांग बहुत ज्यादा है, अहमदाबाद और पुणे जैसे शहरों में अफोर्डेबल हाउसिंग की बिक्री में शानदार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, जो पूरे बाजार के लिए एक अच्छा संकेत है. यह रिपोर्ट बताती है कि भले ही यूनिट्स की संख्या कम बिकी हो, लेकिन कुल बिक्री मूल्य में हुई यह रिकॉर्ड वृद्धि भारतीय रियल एस्टेट मार्केट की मजबूती को दर्शाती है.

घरों की बढ़ती मांग के पीछे कारण
लोग मानते हैं कि प्रॉपर्टी में किया गया निवेश हमेशा सुरक्षित होता है. यह न सिर्फ आपको रहने के लिए जगह देता है, बल्कि लंबे समय में यह अच्छा रिटर्न भी देता है. शेयर बाजार या दूसरे निवेशों में उतार-चढ़ाव का खतरा बना रहता है, जबकि प्रॉपर्टी में ऐसा कम होता है. वहीं लोगों को लगता है कि अगर उन्होंने अभी घर नहीं खरीदा, तो आगे चलकर इसकी कीमतें और भी ज्यादा बढ़ सकती हैं. यह सोच भी उन्हें जल्दी घर खरीदने के लिए प्रेरित कर रही है. शहरों में रहने की इच्छा लगातार बढ़ रही है, जिससे लोगों को घर खरीदने के लिए प्रेरणा मिल रही है.

क्या आने वाले दिनों में और बढ़ेंगी घरों की कीमतें?
यह कहना थोड़ा मुश्किल है कि भविष्य में घरों के दाम कितने बढ़ेंगे, लेकिन कुछ बातें साफ हैं. फिलहाल, प्रॉपर्टी की मांग में कमी नहीं आई है और जब तक मांग बनी रहेगी, तब तक कीमतों पर दबाव बना रहेगा. महंगाई और ऊंची ब्याज दरों के बीच अगर आप घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है. अपनी क्षमता के हिसाब से ही घर चुनें और भविष्य में बढ़ने वाली ईएमआई को ध्यान में रखते हुए ही फैसला लें.

 

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