राजस्थान सरकार ने स्कूल शिक्षा में किया बड़ा बदलाव: ‘पहले आओ, पहले पाओ’ आधार पर एडमिशन से छात्रों को मिली बड़ी राहत

जयपुर: राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव आया है. अब प्रदेश के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में 11वीं कक्षा की खाली सीटों पर ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर एडमिशन दिए जाएंगे. यह फैसला उन स्टूडेंट्स के लिए बड़ी राहत लेकर आया है.जो लॉटरी में नहीं चुने गए थे,या किसी वजह से आवेदन नहीं कर पाए थे. शिक्षा विभाग ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि कोई भी सीट खाली न रहे और ज्यादा से ज्यादा बच्चों को इन स्कूलों में पढ़ने का मौका मिल सके.

क्यों लेना पड़ा यह फैसला?
दरअसल, राज्य सरकार ने इन स्कूलों में एडमिशन के लिए 12 से 16 जुलाई तक आवेदन मांगे थे. इसके बाद 18 जुलाई को लॉटरी निकाली गई, लेकिन फिर भी 11वीं कक्षा में कई सीटें खाली रह गईं. अब सरकार चाहती है कि ये सीटें बर्बाद न हों, इसलिए ‘पहले आओ, पहले पाओ’ की व्यवस्था शुरू की गई है. इस प्रक्रिया से अब कोई भी योग्य छात्र सीधे स्कूल जाकर एडमिशन ले सकता है, बशर्ते सीटें उपलब्ध हों.

बाल वाटिका में भी सीधी एंट्री
सिर्फ 11वीं कक्षा में ही नहीं, बल्कि बाल वाटिका में भी बच्चों को सीधे प्रवेश देने की अनुमति दे दी गई है. नई शिक्षा नीति 2020 के तहत, बाल वाटिका में एडमिशन के लिए अब पूरे शैक्षणिक सत्र के दौरान कभी भी आवेदन किया जा सकता है. इसका मतलब यह है कि अगर किसी बच्चे ने दो साल आंगनबाड़ी में बिताए हैं, तो वह सीधे बाल वाटिका में दाखिला ले सकता है. यह फैसला छोटे बच्चों के माता-पिता के लिए काफी सुविधाजनक साबित होगा.

राजस्थान के 970 स्कूलों में साइंस स्ट्रीम
यह खबर उन अभिभावकों के लिए भी खास है जो अपने बच्चों को विज्ञान संकाय में पढ़ाना चाहते हैं. राज्य के 970 महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों में इसी सत्र से 11वीं कक्षा शुरू की गई है और खास बात यह है कि इन सभी स्कूलों में विज्ञान संकाय की पढ़ाई होगी. प्रत्येक स्कूल में 11वीं कक्षा के लिए 60 सीटें तय की गई हैं. यह कदम राज्य सरकार की तरफ से इंग्लिश मीडियम एजुकेशन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

भामाशाहों के लिए ‘स्पेशल कोटा’
सरकार ने एडमिशन की प्रक्रिया में भामाशाहों (दानदाताओं) को भी जोड़ा है. अगर कोई व्यक्ति या संस्था 50 लाख रुपये से ज्यादा का दान देती है, तो उसे हर क्लास में दो और अधिकतम 10 बच्चों को एडमिशन दिलाने का अधिकार मिलेगा. यह कोटा स्कूल की कुल सीटों के अतिरिक्त होगा. इसका मतलब है कि भामाशाहों के कोटे से आने वाले बच्चों की वजह से सामान्य छात्रों की सीटें कम नहीं होंगी. यह एक ऐसा कदम है जिससे सरकार शिक्षा के क्षेत्र में निजी सहयोग को बढ़ावा देना चाहती है.

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