डीडवाना – कुचामन: वीरवर दुर्गादास राठौड़ की 387वीं जयंती का राज्य स्तरीय समारोह डीडवाना में अद्भुत जोश और भव्यता के साथ संपन्न हुआ. श्री हिम्मत छात्रावास मैनेजिंग कमेटी और राजपूत सभा के संयुक्त आयोजन में प्रदेशभर से समाजसेवी, जनप्रतिनिधि और राजपूत समाज के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में जुटे. मंच पर उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी, शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी, गाड़ौदा धाम के स्वामी महावीर जति महाराज, सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजौर, अजमेर के संभागीय आयुक्त शक्ति सिंह राठौड़, परबतसर के पूर्व विधायक मानसिंह किनसरिया, भाजपा नेता जितेंद्र सिंह जोधा और करणी सिंह सहित कई गणमान्य मौजूद रहे.
“दुर्गादास स्वामी भक्ति और देशभक्ति की अमर मिसाल” — दिया कुमारी
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने अपने संबोधन में कहा कि वीरवर दुर्गादास राठौड़ केवल इतिहास के पात्र नहीं, बल्कि जीवंत प्रेरणा हैं. उन्होंने कहाकि “उनकी स्वामी भक्ति और देशभक्ति सदियों बाद भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उनके समय में थी.”
दिया कुमारी ने युवाओं को संदेश दिया कि वे धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के हित के लिए हर परिस्थिति में अडिग रहें. उन्होंने महापुरुषों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि उनकी बदौलत ही हमारी संस्कृति आक्रमणों के बावजूद जीवित है.
पीएम मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर और मजबूत भारत
अपने भाषण में दिया कुमारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि आज का भारत न किसी धमकी से डरता है, न किसी दबाव में झुकता है. संकटों के बावजूद देश लगातार प्रगति की ओर बढ़ रहा है और बाहरी ताकतों की साजिशें नाकाम हो रही हैं. उन्होंनकहा कि “भारत न कभी झुका है, न झुकेगा,” .
महापुरुषों की जयंतियों का महत्व — रविन्द्र सिंह भाटी
शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने कहा कि महापुरुषों की जयंतियां केवल औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से युवा अपने इतिहास, संस्कृति और परंपराओं से जुड़ते हैं.
सम्मान समारोह ने बढ़ाई गरिमा
समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल करने वाले राजपूत समाज के प्रतिभावानों को सम्मानित किया गया. साथ ही, उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी का शॉल ओढ़ाकर और तलवार भेंट कर स्वागत किया गया, जिससे माहौल और भी गरिमामय हो उठा.
राष्ट्रभक्ति की भावना को फिर जगाया
डीडवाना की ऐतिहासिक भूमि पर हुआ यह आयोजन न केवल वीर दुर्गादास राठौड़ के अदम्य साहस और बलिदान का स्मरण बनकर रहा, बल्कि यह संदेश भी दे गया कि उनकी प्रेरणा जब तक जीवित है, राष्ट्र की रक्षा की भावना कभी कमजोर नहीं होगी.