क्या पहलगाम के हमलावर तय करेंगे पूर्ण राज्य का दर्जा? सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद बोले उमर अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में ध्वजारोहण किया. इस खास अवसर पर उन्होंने अपने भाषण में कहा कि आतंकवादी यह तय नहीं करेंगे की जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलेगा या नहीं. उन्होंने कहा कि हर बार जब हम राज्य का दर्जा पाने के करीब पहुंचते हैं, तो आतंकवादी इसे नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ न कुछ करते हैं.

बता दें कि उमर अब्दुल्ला का बयान सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी के बाद आया जब कोर्ट के चीफ जस्टिस बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने से पहले वहां की जमीनी स्तर पर ध्यान देना चाहिए. इसके आगे कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया था कि पहलगाम जैसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

‘आतंकवादी नहीं करेंगे तय’

सीएम ने अपने भाषण में पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि क्या पहलगाम के हत्यारे और पाकिस्तान में बैठे आका यह तय करेंगे कि हम एक राज्य होंगे या नहीं? सीएम ने कहा कि हर बार जब हम राज्य का दर्जा पाने के करीब पहुंचते हैं, तो वे इसे नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ न कुछ करते हैं. क्या यह उचित है? उन्होंने कहा कि हमें उस अपराध की सजा क्यों दी जा रही है जिसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग खुद इस हमले के खिलाफ खड़े हुए और कठुआ से लेकर कुपवाड़ा तक विरोध प्रदर्शन किए गए. उन्होंने आगे कहा कि दुर्भाग्य से हमें आज पहलगाम हमले की सजा मिल रही है.

व्यापक हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा

अब्दुल्ला ने अपने भाषण में कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को याचिका के जवाब के लिए आठ हफ्तों की मोहलत दी है. उन्होंने कहा कि इन आठ हफ्तों के दौरान जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग पर जोर देने के लिए एक व्यापक हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे. सीएम ने कहा कि आज से हम इन आठ हफ्तों का इस्तेमाल राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए हस्ताक्षर अभियान के तहत घर-घर जाकर करेंगे. सीएम ने कहा कि अगर लोग दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं हुए, तो मैं हार मान लूंगा.

अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि वे और उनके सहयोगी दल राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग के के लिए पर्याप्त लोगों के हस्ताक्षर जुटा लेंगे. जिससके बाद हस्ताक्षर अभियान के दस्तावेज सर्वोच्च न्यायालय को सौंप दिए जाएंगे.

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