बीजापुर। दशकों तक माओवादी हिंसा की दहशत का गढ़ रहे छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में इस वर्ष एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला। 15 अगस्त 2025 को 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, बीजापुर जिले के 12 नए स्थापित सुरक्षा कैंपों और थानों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। यह केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह लोकतंत्र की बहाली और माओवादियों के भय पर ग्रामीणों की जीत का प्रतीक था।
इन नए कैंपों में कोण्डापल्ली, वाटेवागु, जिडपल्ली-1, जिड़पल्ली-2, काउरगट्टा, कोरचोली, पीड़िया, पुजारीकांकेर, गुंजेपर्ती, गोरना, भीमाराम और गुटुमपल्ली जैसे अति संवेदनशील गांव शामिल हैं। इन इलाकों में ग्रामीणों, स्कूली बच्चों, जनप्रतिनिधियों और सुरक्षा बलों ने मिलकर ध्वजारोहण किया। दशकों तक जहां माओवादियों के लाल झंडे लहराते थे, वहां ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम्’ के नारों की गूंज सुनाई दी। बच्चों ने देशभक्ति के गीत गाए और तिरंगा यात्रा में उत्साहपूर्वक भाग लिया।
सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए सघन अभियानों और इन नए कैंपों की स्थापना के कारण यह ऐतिहासिक क्षण संभव हो पाया। इन कैंपों ने न केवल माओवादियों के प्रभाव को कम किया है, बल्कि क्षेत्र में विश्वास और शांति की नई लहर भी लाई है। इन कैंपों की स्थापना के बाद से सड़कों का निर्माण, बिजली, पानी, संचार, राशन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का विस्तार हुआ है, जिससे ग्रामीणों के जीवन स्तर में तेजी से सुधार आ रहा है।
राष्ट्रीय पर्व के इस उल्लास को साझा करते हुए, ध्वजारोहण के बाद सभी उपस्थित ग्रामीणों और बच्चों को मिठाई बांटी गई और सामूहिक भोज का आयोजन किया गया। यह घटना बीजापुर जिले में विकास, शांति और लोकतंत्र की मजबूत होती जड़ों की कहानी बयां करती है। यह दिखाता है कि कैसे सुरक्षा, विश्वास और विकास के त्रिकोण से सबसे कठिन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।