सूरजपुर : जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की एक बार फिर से बेनकाब का चेहरा सामने आ गया है.सिलौटा उप-स्वास्थ्य केंद्र से एक ऐसा अपराधी मामला सामने आया है, जिसने पूरे क्षेत्र में आग भड़का दी है.यहां करीब चार बोरी सरकारी दवाओं को आग के हवाले कर दिया गया, जबकि गांव के गरीब, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के इलाज की कमी में दर-दर भटकते रहे.
सूत्र दस्तावेज़ हैं कि ये दवा एक्सपायर होवेला था, इसलिए नष्ट हो गया.लेकिन बड़ा सवाल यह है कि – जब यह कृषक मित्र के लिए गया, तो समय पर भोजन क्यों नहीं किया गया? करोड़ों रुपये खर्च करने के सरकारी लाभ के बीच, यह गरीबों के जीवन के साथ स्थिर जुड़ाव है.
गांव के लोगों का आरोप है कि डॉक्टर महीनों तक स्वास्थ्य केंद्र में नजर ही नहीं डालते, पीड़ित को सही समय पर इलाज नहीं देते, और अब लाखों लोगों की सरकारी संपत्ति को बिना किसी पद के खत्म कर दिया गया है.
ग्रामीण सरपंच विश्वनाथ सिंह, अनिल अग्रवाल, रामप्रवेश गुप्ता, अरविंद, महावीर प्रसाद, राजेश बसंत गुप्ता समेत कई लोगों ने इस कार्यक्रम में “स्वास्थ्य विभाग की गहनता” के बारे में जानकारी दी और कार्रवाई की मांग की.अर्थशास्त्री ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही सुधार नहीं हुआ, तो आंदोलन का बिगुल फना हो जाएगा.
यह गंभीर मामला जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कपिल पैकरा ने भी माना कि यह मामला बेहद गंभीर है.उन्होंने कहा कि जांच टीम संगीत की जा रही है और डॉक्टर व स्टाफ किसी भी हाल में वापस नहीं जाएंगे.
अब सवाल यह है कि – जब स्वास्थ्य पेशेवरों में डॉक्टरों और डॉक्टरों की भारी कमी है, तब लाखों की टिकटें में रोडर क्यों खराब हो रहे हैं? और कब तक इस तरह की विविधता गरीबों की जान के साथ बने रहेंगे?