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डीडवाना-कुचामन : सामाजिक समरसता और स्वास्थ्य का संदेश लेकर डीडवाना से सांगलिया धूणी तक निकली पदयात्रा

डीडवाना – कुचामन: विश्व प्रसिद्ध सांगलिया धूणी के संत और पूर्व पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 खींवादास जी महाराज की 24वीं पुण्यतिथि के अवसर पर शनिवार को डीडवाना से सांगलिया पीठ (सीकर) तक भव्य पदयात्रा का आगाज हुआ. सुबह 10 बजे निनावटा गांव से शुरू हुई यह यात्रा लगभग 50 किलोमीटर लंबी रहेगी. यात्रा में डीडवाना जिले और आसपास के गांवों से हजारों श्रद्धालु शामिल होकर श्रद्धा, सेवा और समरसता का संदेश लेकर आगे बढ़े.

पदयात्रा संयोजक श्याम प्रताप का संदेश : जातिवाद और भेदभाव का अंत जरूरी

पदयात्रा संयोजक श्याम प्रताप सिंह राठौड़ ने कहा कि “सांगलिया धूणी देश और विदेश में सामाजिक समरसता का प्रतीक है. यहां से समाज को हमेशा यह संदेश मिला है कि जाति-पांति, ऊंच-नीच और भेदभाव जैसी कुरीतियां मानवता को तोड़ती हैं. हमारे संतों ने हमेशा समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है.”

उन्होंने बताया कि इस पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य जातिवाद को खत्म कर आपसी भाईचारा, समानता और एकता को बढ़ावा देना है. राठौड़ ने आगे कहा कि सांगलिया धूणी के सेवक सदैव जाति-पांति से ऊपर उठकर मानवता, सेवा और सामाजिक समानता की राह पर चलते आए हैं।

स्वस्थ जीवनशैली का संदेश भी दे रही पदयात्रा

संयोजक राठौड़ ने यह भी कहा कि आज के समय में जब जीवनशैली असंतुलित और व्यस्त हो गई है, तब पैदल चलना समाज को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाए रखने का सरल और प्रभावी साधन है. यह पदयात्रा केवल सामाजिक समरसता का ही नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने का भी संदेश लेकर चल रही है.

सांगलिया धूणी : जहां से जुड़ा है सर्वसमाज

गौरतलब है की सांगलिया धूणी, सीकर जिले के सांगलिया गांव में स्थित है. यह धाम संत श्री श्री 1008 खींवादास जी महाराज द्वारा स्थापित किया गया था और आज देश-विदेश में इसकी पहचान सामाजिक समरसता, समानता और सेवा भाव के केंद्र के रूप में है. यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं. धूणी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां किसी भी जाति-पंथ का भेदभाव नहीं होता, बल्कि सभी समाजजन समान भाव से जुड़ते हैं.

धूणी पहुंचकर लेंगे आशीर्वचन

पदयात्रा सांगलिया धूणी पहुंचने के बाद श्रद्धालु पीठाधीश्वर ओमदास जी महाराज के दर्शन करेंगे. तत्पश्चात ओमदास महाराज भक्तों को आशीर्वचन देकर खींवादास जी महाराज की पुण्यतिथि पर समाज को समरसता, आध्यात्म और स्वस्थ जीवन का संदेश देंगे.

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