मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने अपने एक आदेश में साफ किया कि आवेदन के समय पत्नी की मृत्यु के बाद पिता ओवरएज हो गए थे, इसलिए बेटे को दी गई अनुकंपा नियुक्ति वैधानिक है। इस मत के साथ एकलपीठ ने उस आदेश को निरस्त कर दिया गया, जिसके तहत सात वर्ष सेवा करने के बाद बेटे को दी गई अनुकंपा नियुक्ति की सेवा समाप्त कर दी गई थी। कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को बहाल करें।
याचिकाकर्ता खंडवा निवासी राहुल खरे की ओर से अधिवक्ता सचिन पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता की मां शिक्षा कर्मी के रूप में पदस्थ थीं। वर्ष 2006 में उनकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता के आवेदन पर उसे 2009 को अनुकंपा नियुक्ति मिल गई।
सात साल बाद 2018 में किसी ने शिकायत कर आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने तथ्य छिपाकर अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त की है। उसने यह तथ्य छिपाया कि उसके पिता 1988 से शासकीय सेवा में हैं। इसलिए 23 मई 2018 को याचिकाकर्ता की सेवा समाप्त कर दी गई।
बर्खास्त नहीं किया जा सकेगा
कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता ने अपने आवेदन में यह तथ्य उजागर किया था कि उसके पिता अर्ध शासकीय सेवा में हैं। नियम के अनुसार दिवंगत कर्मी के परिवार में यदि पहले से कोई शासकीय सेवक अनुकंपा का पात्र है तो उसे नियुक्ति दी जाती है।
कोर्ट ने पाया कि जब याचिकाकर्ता ने आवेदन दिया था, तब उसके पिता यह नियुक्ति पाने के लिए ओवरएज हो चुके थे। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने भी उक्त तथ्य को छिपाया नहीं था। कोर्ट ने कहा कि सेवा के सात वर्ष बाद इस तरह से बर्खास्त नहीं किया जा सकता।