कुरुद : छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बार-बार उठ रही चर्चाओं के बाद कल शाम मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के राज्यपाल रामेन डेका से मुलाकात के बाद 18 अगस्त को नये मंत्रियों के शपथग्रहण होने की खबरें खूब वायरल हो रही है. लेकिन सोशल मीडिया में वायरल हो रही है एक न्यूज पोर्टल के खबर को माने तो 18 अगस्त को नये मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह नही होगा.
टालमटोल को लेकर राजनीतिक हलकों में कई सवाल
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने दिसंबर 2023 में सत्ता संभालने के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाओं को लेकर सुगबुगाहट बनी हुई है। लेकिन अब तक नये मंत्रियों के नामों का ऐलान नही हो पाना और बार बार दिल्ली दौरे से लौटने के बाद भी केबिनेट विस्तार को लेकर हो रही टालमटोल के पीछे कई राजनीतिक, सामाजिक और रणनीतिक कारण हो सकते हैं. अंदरखाने से आ रही खबरों की मुताबिक विस्तार अभी टला नही है पर 18 अगस्त को होने की संभावना नही दिख रही है.
वायरल हो रही दो नामो पर बन रही अंतर्द्वंद की स्थिति:
दबी जुबान से आ रही खबरों के मुताबिक तीन में से दो नामों पर अंतर्द्वद्ध की स्थिति है। कल शाम तक दावेदारों में अमर अग्रवाल, अजय चन्द्राकर और लता उसेंडी के नाम की भी चर्चा थी.मगर बाद में संघटन ने गजेंद्र, खुशवंत और राजेश का नाम फाइनल कर दिया है ऐसी खबरें खूब वायरल हो रही है.जिसको लेकर रायपुर से दिल्ली तक तेज़ सियासी लॉबिंग होने की बाते हो रही है.जिसके चलते फिरहाल केबिनेट विस्तार कल न होकर अगली तिथि तय की जाने की खबरें आ रही हैं.
साय टीम को दखल रखने वाले नही बल्कि यश मैन की जरूरत:
सूत्रों की मानें तो साय कैबिनेट को यस मैन चाहिए। इस समय 10 मंत्री में से अधिकांश इसी यश मैन की श्रेणी में गिने जाते है। मगर अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, लता उसेंडी से कुछ भी नहीं कराया जा सकता.लंबे राजनीतिक तजुर्बा व दो दो बार कैबिनेट में दखल रखने वाले पुराने मंत्री ऐसा करेंगे नहीं.जिससे साय टीम के साथ साथ भाजपा संगठन को सरकार चलाने में दिक्कतें आ सकती है पर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि विष्णु देव के पास टीम ही अच्छी नहीं होगी तो फिर रिज़ल्ट बढियां कैसे आएगा.
इसलिए नये-पुराने चेहरे को शामिल कर बेहतर तालमेल बिठाते हुए कैबिनेट का विस्तार करना चहिए.अब देखना होगा कि आज शाम तक नये मंत्रियों के नामों का ऐलान होता है कि अंदरूनी खबरे भाजपा की भीतर की अंतर्द्वंद को उजागर करती है.फिरहाल केबिनेट विस्तार को लेकर सबकी निगाहे टिकी हुई है.
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